भारत में 20 करोड़ से अधिक लोग जी रहे हैं निष्क्रिय जीवनशैली, अध्ययन में हुआ खुलासा
खेल और शारीरिक गतिविधियों के पहले राष्ट्रीय सर्वे से यह बात सामने आई है कि अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के आधार पर 20 करोड़ से अधिक भारतीय निष्क्रिय जीवन जी रहे हैं और इससे शहरों में रहने वाली लड़कियां सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसका कारण नियमित एक्सरसाइज न करना, गलत खान-पान और कुछ बुरी आदतें हो सकती हैं, वहीं शारीरिक सक्रियता पर ध्यान न देना शरीर के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है। आइए अध्ययन के बारे में विस्तार से जानें।
बच्चों, किशोरों और वयस्कों के लिए शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना जरूरी- WHO
यह सर्वे एक गैर-लाभकारी संगठन स्पोर्ट्स एंड सोसाइटी एक्सलेरेटर के साथ साझेदारी करके किया गया है। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है, "वयस्कों को स्वास्थ्य जोखिम कम करने के लिए प्रति सप्ताह 150 मिनट शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए, जबकि बच्चों और किशोरों को हर दिन कम से कम 60 मिनट तक एक्सरसाइज करनी चाहिए। हालांकि, यह बेंचमार्क ऐसे समाज के लिए अधूरा है, जहां शैक्षणिक प्राथमिकताएं अक्सर शारीरिक गतिविधियों पर हावी हो जाती हैं।"
लोगों को पता होना चाहिए खेल और शारीरिक गतिविधियों के बीच का अंतर- खेसरी
स्पोर्ट्स एंड सोसाइची एक्सेलेरेटर के सह-संस्थापक देश गौरव सेखरी ने खेल और शारीरिक गतिविधियों के बीच के अंतर को समझने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि भारत में स्वास्थ्य और सामुदायिक लाभ के बजाय प्रतिस्पर्धा पर अधिक ध्यान होने के कारण लोगों के बीच खेल और शारीरिक गतिविधियों के बीच अक्सर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। उन्होंने आगे कहा, "शारीरिक गतिविधि और खेल से शारीरिक परिवर्तन, मूड में बदलाव, सहनशक्ति और संज्ञानात्मक में सुधार होता है। "
शहरी लड़कियों के निष्क्रिय जीवन जीने के कारण
सर्वे में सबसे चिंताजनक कारणों में शारीरिक गतिविधियों में लैंगिक असमानता है। सुरक्षा की चिंता के साथ-साथ पार्क और खेल के मैदानों जैसे सार्वजनिक स्थानों तक सीमित पहुंच के कारण शहरी लड़कियों का जीवन सबसे ज्यादा निष्क्रिय हो रहा है। इसके अतिरिक्त औसत भारतीय महिला का पूरे दिन का अधिकतर समय घरेलू कामकाज और परिवार की देखभाल करने में निकल जाता है। ऐसे में शहरी निष्क्रियता दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में लगभग दोगुनी से अधिक है।
स्कूल बना सकते हैं बुनियादी ढांचे को बेहतर
सर्वे में शामिल छात्रों में से 67 प्रतिशत ने बताया कि उनके स्कूलों में खेल उपकरणों की कमी है, जबकि 21 प्रतिशत का कहना है कि उनके स्कूल में खेल के मैदान ही नहीं है। यह सर्वे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के वयस्कों, बच्चों और किशोरों पर किया गया था। इस सर्वे का निष्कर्ष भले ही अच्छा न हो, लेकिन इसे सही बनाया जा सकता है। इसके लिए घर पर ही कुछ एक्सरसाइज की जा सकती हैं।