कृष्ण जन्माष्टमी: धनिये की पंजीरी के बिना अधूरा है प्रसाद, ऐसे बनाएं
धनिये की पंजीरी एक 'फलाहारी' व्यंजन है, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी पर जरूर बनाया जाता है। हिंदू किंवदंतियों के मुताबिक, भगवान कृष्ण का जन्म श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में हुआ था और इस मौके पर उपवास रखने वाले पंजीरी खाकर अपना उपवास तोड़ते हैं। यह खासतौर से उत्तर प्रदेश और पंजाब में बनाई जाती है। आइए आज धनिये की पंजीरी की रेसिपी जानते हैं।
धनिये की पंजीरी के लिए जरूरी सामग्रियां
एक कप धनिये के बीज, देसी घी, एक चौथाई कप मखाना या कमल के बीज, 4 बड़ी चम्मच कटे हुए बादाम, 4 बड़ी चम्मच चिरौंजी, 4 बड़ी चम्मच कटे हुए काजू, 4 बड़ी चम्मच खरबूजे के बीज, 4 बड़ी चम्मच किशमिश, 6 बड़ी चम्मच कदूकस किया हुआ सूखा नारियल, एक कप चीनी का पाउडर, एक चम्मच इलायची का पाउडर और कुछ तुलसी के पत्ते।
सबसे पहले धनिये को भूनें
सबसे पहले एक मिक्सी के जार में धनिये के बीज डालकर उन्हें दरदरा पीस लें। अब एक भारी तले वाले पैन में थोड़ा देसी घी गर्म करके उसमें पिसा हुआ धनिया पाउडर डालें। फिर धनिये को धीमी आंच पर तब तक भूनें, जब तक कि उसमें से खुशबू न आने लगे और उसका रंग न बदल जाएं। इसके बाद भुने धनिये को एक प्लेट में निकालकर कमरे के तापमान पर ठंडा होने दें।
सूखे मेवों को सुनहरा भूरा होने तक भूनें
अब एक पैन में थोड़ा देसी घी गर्म करके उसमें मखाने भून लें और जब ये कुरकुरे हो जाए तो इन्हें एक प्लेट में निकालें। इसके बाद पैन में 2 चम्मच देसी घी गर्म करें, फिर इसमें बादाम, चिरौंजी, काजू, खरबूजे के बीज और किशमिश डालकर इन्हें सुनहरा भूरा होने तक भूनें, फिर इसे एक प्लेट में निकालें। सूखे मेवों के बाद पैन में सूखा नारियल डालकर भूनें, फिर इसे भी प्लेट में निकालें।
आखिर में सारी सामग्रियों को एकसाथ मिलाएं
एक बड़े बर्तन में भुने सूखे मेवों और सूखे नारियल के साथ चीनी पाउडर, इलायची पाउडर और तुलसी के पत्ते डालकर अच्छे से मिलाएं। इसके बाद भुने धनिये को भी इसमें मिलाएं, फिर इस पर बारीक कटे बादाम, काजू और गुलाब की पंखुड़ियां डालकर इसे परोसें। इस पंजीरी का सीमित मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है क्योंकि इसकी सामग्रियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इसको आप श्रीकृष्ण के छप्पन भोग में शामिल कर सकते हैं।