भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है दही हांडी, जानिए इसका महत्व
क्या है खबर?
भारत विविधताओं का देश है और विभिन्न तरीकों से मनाए जाने वाले हजारों त्योहार इस विविधता को बयां करते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है कृष्ण जन्माष्टमी।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर देशभर में दही हांडी का कार्यक्रम होता है।
आइए आपको बताते हैं कि दही हांडी क्या है और इसका कृष्ण जन्माष्टमी से क्या संबंध है।
उत्सव
दही हांडी क्या है?
दही दूध का एक उत्पाद है, वहीं हांडी मिट्टी से बना एक बर्तन होता है।
दही हांडी उत्सव में हांडी में दही और दूध से बने अन्य उत्पाद भरकर इसे एक ऊंचे स्थान पर टांग दिया जाता है।
पुरुषों का समूह मानव पिरामिड बनाकर इस हांडी तक पहुंचने और डंडे की मदद से फोड़ता है, वहीं महिलाएं पुरुषों पर पानी डालकर उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं।
हांडी फूटने के बाद सामग्री का प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।
कहानी
दही हांडी का कृष्ण जन्माष्टमी से संबंध
हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण को दूध से बने मक्खन, दही जैसे उत्पाद बहुत पसंद थे और जब वह छोटे थे तो अपने पड़ोस के घरों से मक्खन चुराकर खाते थे। उनसे अपना माखन बचाने के लिए गोपियां हांडी में माखन भरकर इन्हें छत से टांग देती थीं।
हालांकि, नटखट कन्हैया अपने मित्रों के साथ मानव पिरामिड बनाकर माखन की इन हांडी तक पहुंच जाते थे।
इसके प्रतीक के तौर पर जन्माष्टमी पर दही हांडी उत्सव मनाया जाता है।
जगह
महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से होता है दही हांडी का कार्यक्रम
कृष्ण जन्माष्टमी पर महाराष्ट्र में दही हांडी उत्सव जोर-शोर से आयोजित किया जाता है। इस उत्सव में दही से भरी हांडी फोड़ने के अलावा भी अन्य कई चीजें शामिल होती हैं।
जन्माष्टमी पर सांस्कतिक कार्यक्रम, नृत्य प्रदर्शन और धार्मिक अनुष्ठान आदि भी होते हैं।
इस त्योहार पर परिजन और दोस्त इकट्ठा होकर आपस में मिठाइयां बांटते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की प्रेम, एकता और धार्मिकता की सीख को याद करते हैं।
तिथि
कब है कृष्ण जन्माष्टमी?
कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के 8वें दिन मनाई जाती है, जो इस साल 26 अगस्त को है।
अष्टमी तिथि की शुरूआत 26 अगस्त को सुबह 03:39 बजे होगी, जबकि इसकी समाप्ति का समय 27 अगस्त को सुबह 02:19 बजे है।
त्योहार की पूजा का समय 26 अगस्त को रात 12:00 बजे से लेकर 12:45 बजे तक रहेगा।
वहीं रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को शाम 03:55 बजे से 27 अगस्त को शाम 03:38 बजे तक है।