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    जम्मू-कश्मीर: सोशल मीडिया यूजर्स पर क्यों लगा UAPA और क्या है यह कानून?

    जम्मू-कश्मीर: सोशल मीडिया यूजर्स पर क्यों लगा UAPA और क्या है यह कानून?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 18, 2020
    11:19 am

    क्या है खबर?

    पिछले साल अगस्त से कई तरह की पाबंदी झेल रहे जम्मू-कश्मीर में पुलिस ने सोशल मीडिया का 'गलत इस्तेमाल' करने वाले यूजर्स पर अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है।

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, हुर्रियत नेता सैय्यद अली गिलानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और लोग इसे शेयर करने लगे।

    इसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया। कई लोग पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं।

    जानकारी

    अफवाह फैलाने वालों पर हुआ मामला दर्ज- पुलिस

    कार्रवाई पर विवाद बढ़ने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सफाई देते हुए कहा कि सभी यूजर्स पर मामला दर्ज नहीं किया गया है। जो लोग प्रशासन का आदेश नहीं मानकर अफवाह फैला रहे हैं, उनके खिलाफ केस रजिस्टर किया गया है।

    प्रतिबंध

    जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया पर लगी है रोक

    पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला लिया था।

    इससे पहले ही ऐहतियात के तौर पर पूरे राज्य में इंटरनेट बंद कर दिया गया था। पिछले दिनों इंटरनेट सेवाएं बहाल की गई, लेकिन सोशल मीडिया पर बैन जारी रहा।

    सरकार ने लगभग 300 वेबसाइट की एक्सेस की इजाजत दी थी और बाकी पर प्रतिबंध जारी है।

    FIR

    FIR में क्या लिखा गया है?

    सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ दर्ज FIR में कहा गया है कि कुछ असमाजिक तत्व प्रॉक्सी सर्वर इस्तेमाल कर अफवाह फैला रहे हैं। यह कश्मीर घाटी के मौजूदा हालात के लिए खतरनाक है। अफवाहों की वजह से अलगाववादी विचारधारा वाली ताकतों को मजबूती मिलेगी और इसके जरिए आतंक को प्रचारित-प्रसारित किया गया। इस संबंध में काफी सामग्री भी जब्त की गई है।

    प्रशासन ने कहा है कि वह अफवाहों के जरिए माहौल को खराब नहीं होने दे सकता।

    जानकारी

    सोशल मीडिया का इस्तेमाल रोकने के लिए फायरवॉल खरीदेगा प्रशासन

    कई रिपोर्ट में कहा यह कदम लोगों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल से रोकने के लिए उठाया गया है। साथ ही प्रशासन ने फायरवॉल भी खरीदे हैं ताकि लोग सोशल मीडिया का प्रयोग न कर पाएं।

    अफवाहें

    सोशल मीडिया पर फैल रही थीं ये अफवाहें

    सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने एक स्थानीय पत्रकार कामरान यूसुफ से हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के बीमार होने से संबंधित ट्वीट के बारे में बातचीत की थी। हालांकि, पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि कामरान वह ट्वीटर अकाउंट हैंडल नहीं कर रहे थे।

    साथ ही सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैलाई जा रही थी कि कश्मीर बार एसोसिएशन के प्रमुख मिलान कयूम को जेल में हर्ट अटैक आया है। पुलिस ने इसका खंडन किया है।

    कानून

    क्या है UAPA कानून?

    सोशल मीडिया यूजर्स पर UAPA के तहत मुकदमा दर्ज करने पर सवाल उठ रहे हैं।

    दरअसल, बेहद सख्त इस कानून को नक्सलवाद और आतंकवाद से लड़ने के लिए बनाया गया है।

    1967 के कानून में पिछले साल कुछ संशोधन किये गए हैं। इस कानून का मकसद सरकारों को आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए अधिकार देना है।

    यह कानून पूरे देश में लागू है और किसी भी भारतीय या विदेशी के खिलाफ इसके तहत मुकदमा किया जा सकता है।

    विवाद

    कानून के संशोधनों पर है विवाद

    पिछले साल इस कानून में संशोधन कर नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को यह अधिकार दिया गया कि वह किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि में शामिल संदिग्ध को आतंकी घोषित कर सकती है। संशोधन से पहले सिर्फ किसी समूह को आतंकी संगठन घोषित करने का प्रावधान था।

    देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए खतरा बनने वाली किसी भी तरह की व्यक्तिगत और समूह की गैरकानूनी गतिविधि के संबंध में इस कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है।

    जानकारी

    ओवैसी ने उठाए सवाल

    कश्मीर में सोशल मीडिया यूजर्स पर UAPA लगाने के कदम पर हैदराबाद से सांसद असद्दुदीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि सरकार रोजाना क्रूरता, अक्षमता और अपमान के नए रिकॉर्ड बना रही है।

    ट्विटर पोस्ट

    ओवैसी ने पूछा- कश्मीर में सब ठीक है?

    Kashmir mein sab kuch normal hai, haina?

    Everyday there is new proof of how little @AmitShah understood Kashmir (or apparently, how VPN technology works). So, now they try to set new world records of cruelty, incompetence humiliation https://t.co/G0E8aBkbYG

    — Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 18, 2020
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