कड़े प्रतिबंधों के बाद भी गिलानी को थी इंटरनेट की एक्सेस, BSNL के दो अधिकारी निलंबित
जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के बाद राज्य में मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाएं बंद कर दी गई थी। पूरे राज्य में कहीं भी मोबाइल और इंटरनेट काम नहीं कर रहे थे, लेकिन अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के घर में इंटरनेट चल रहा था। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस मामले में BSNL के दो कर्मचारियों को निलंबित किया है। कड़े प्रतिबंधों के बावजूद गिलानी चार दिनों तक इंटरनेट चला रहे थे।
4 अगस्त से जारी है राज्य में प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बड़े बदलाव किए थे। इसके बाद माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने एक दिन पहले यानी 4 अगस्त से ही जम्मू-कश्मीर में संचार के साधनों पर रोक लगा दी थी। जम्मू-कश्मीर के अलावा लद्दाख में भी मोबाइल और इंटरनेट सेवा स्थगित कर दी गई थी। इसके अलावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत बड़े नेताओं को नजरबंद किया गया है।
4 दिनों तक इंटरनेट चला रहे थे गिलानी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इतने कड़े प्रतिबंधों के बावजूद सैयद अली शाह गिलानी 8 अगस्त तक लैंडलाइन और ब्रॉडबैंड सेवा का फायदा उठा रहे थे। प्रशासन को इसकी भनक गिलानी द्वारा एक ट्वीट करने के बाद लगी। इससे पहले प्रशासन को यह पता नहीं था कि उनके पास इंटरनेट की एक्सेस है। इसके बाद केंद्र और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ट्विटर को पत्र लिखकर गिलानी के ट्विटर अकाउंट को बंद करने को कहा था।
BSNL के दो अधिकारी निलंबित
ट्विटर से अकाउंट बंद कराने के बाद प्रशासन ने इस बात की जांच शुरू की कि गिलानी इतनी पाबंदियों के बाद भी इंटरनेट कैसे चला रहे हैं। जांच में पता चला कि BSNL के दो बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से गिलानी के पास इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाएं पहुंच रही थी। मामला सामने आने के बाद BSNL ने इन दोनों अधिकारियों को निष्कासित कर दिया और गिलानी के घर की एक्सेस ब्लॉक कर दी।
जम्मू-कश्मीर मामले को लेकर अमित शाह से मिले अजित डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की। इसमें गृह सचिव राजीव गौबा और खुफिया एजेंसियों के बड़े अधिकारी शामिल हुए थे। माना जा रहा है कि इस बैठक में जम्मू-कश्मीर मामले को लेकर चर्चा हुई है। डोभाल पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में डेरा डाले हुए थे। ऐसे में कहा जा रहा है कि उन्होंने कश्मीर की जमीनी स्थिति की जानकारी सरकार को दी है।