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    आखिर क्यों कोरोना वायरस को पकड़ने में नाकाम साबित हो रहा है RT-PCR टेस्ट?

    आखिर क्यों कोरोना वायरस को पकड़ने में नाकाम साबित हो रहा है RT-PCR टेस्ट?

    लेखन भारत शर्मा
    Apr 16, 2021
    08:10 pm

    क्या है खबर?

    देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा रखा है। सरकार बचाव के लिए टेस्टिंग पर जोर दे रही है।

    इसी बीच बड़ी खबर आई है कि दूसरी लहर में वायरस नए रूप में सामने आया है और इसने में दुनिया में सबसे विश्वसनीय माने जाने वाले RT-PCR टेस्ट को भी धोखा देना शुरू कर दिया है।

    हालात यह है कि वर्तमान में किए जा रहे प्रत्येक पांच RT-PCR टेस्ट में एक रिपोर्ट गलत साबित हो रही है।

    पृष्ठभूमि

    क्या होता है RT-PCR टेस्ट?

    RT-PCR टेस्ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट। इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस का पता लगाया जाता है।

    इसमें वायरस के RNA की जांच की जाती है। जांच के दौरान शरीर के कई हिस्सों से सैंपल लेने की जरूरत पड़ती है।

    ज्यादातर सैंपल में नाक और गले से म्यूकोजा के अंदर वाली परत से स्वैब लिया जाता है। रिपोर्ट में सामान्यतः 6-8 घंटे लगते हैं, लेकिन कई बार इससे ज्यादा समय भी लग सकता है।

    जानकारी

    दुनिया में सबसे विश्वसनीय माना जाता है RT-PCR टेस्ट

    बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए दुनियाभर में RT-PCR टेस्ट को सबसे विश्वसनीय माना जाता है। यह किसी संक्रमित के लक्षण नहीं होने के बाद उसके शरीर में मौजूद वायरस का आसानी से पता लगा लेता है।

    बदलाव

    दूसरी लहर में RT-PCR को धोखा दे रहा है कोरोन वायरस

    कोरोना वायरस को आसानी से पकड़ने की काबिलियत रखेने वाले RT-PCR टेस्ट को दूसरी लहर में वायरस ने धोखा देना शूर कर दिया है।

    TOI की रिपोर्ट के अनुसार दूसरी लहर में RT-PCR टेस्ट के नतीजे 20 प्रतिशत तक गलत साबित हो रहे हैं। यानी प्रत्येक पांच में एक रिपोर्ट गलत आ रही है।

    कई राज्यों में ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण है, लेकिन बार-बार जांच कराने के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है।

    पहचान

    अब CT स्कैन में पकड़ आ रहा है संक्रमण

    कई मरीजों में RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद CT स्कैन में फेफड़ों में गंभीर संक्रमण मिलाहै।

    छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर निवासी 58 वर्षीय व्यक्ति की CT स्कैन रिपोर्ट में फेफड़े में 90 प्रतिशत संक्रमण मिला है, लेकिन RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव रही है। हालांकि, समय पर उपचार मिलने से वह ठीक हो गए हैं।

    इसी तरह भिलाई निवासी 65 वर्षीय महिला के भी CT स्कैन में फेफड़ों में 80 प्रतिशत संक्रमित मिला था, लेकिन RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आई है।

    कारण

    क्यों नाकाम साबित हो रहा है RT-PCR टेस्ट?

    कोरोना वायरस को पकड़ने में RT-PCR टेस्ट के नाकाम होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसे जिस वायरस का पता लगाने के लिए डिजाइन किया था, उसने अपना रूप और व्यवहार बदल लिया है।

    वर्तमान में भारत में कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट स्ट्रेन B.1.617 लोगों को संक्रमित कर रहा है।

    इसका निर्माण वायरस के E484Q और L452R नामक दो प्रमुख म्यूटेशन से हुआ है। ऐसे में RT-PCR टेस्ट में इसे पकड़ना मुश्किल हो गया है।

    चेतावनी

    वैज्ञानिकों ने भी दी थी चेतावनी

    बता दें कि दुनियाभर में अभी भी पुराने कोरोना वायरस के म्यूटेंट के आधार पर जांच की जा रही है, जबकि वायरस लगातार अपना रूप और व्यवहार बदल रहा है।

    हाल ही में यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, ब्राजील आदि देशों में वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन मिले हैं।

    मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि वायरस लगातार म्यूटेशन कर रहा है। ऐसे में यदि जांच पद्घति को नहीं बदला गया तो यह झूठी रिपोर्ट का कारण बनेगा।

    हकीकत

    सही साबित हो रही है वैज्ञानिकों की चेतावनी

    कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन सामने आने के बाद वैज्ञानिकों की चेतावनी सही साबित हो रही है।

    फरवरी-मार्च में फिनलैंड और फ्रांस के विशेषज्ञों ने कहा था कि ब्रिटेन में मिले नए स्ट्रेन का RT-PCR टेस्ट में पता लगाना मुश्किल हो रहा है।

    डायग्नोस्टिक्स कंपनी परकिनएल्मर के महाप्रबंधक अरविंद कोठरमारन ने कहा कि वायरस के नए स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन टेस्ट को कम विश्वसनीय बना सकता है और अब यह सही साबित हो रहा है।

    जानकारी

    FDA ने जनवरी में जारी किया था अलर्ट

    अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) ने 8 जनवरी के संकेत दिया था कि यदि वर्तमान में सामने आ रहे वायरस के जीनोम में म्यूटेशन होता है तो SARS-CoV-2 का पता लगाने के लिए किसी भी प्रमाणिक टेस्ट में उसकी गलत रिपोर्ट आ सकती है।

    बयान

    बदल गया है वायरस का व्यवहार- काले

    इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलरी साइंसेज में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रतिभा काले ने कहा कि RT-PCR टेस्ट अब गलत रिपोर्ट देने लगा है।

    इसका कारण यह है कि हो सकता है वायरस के नए स्ट्रेन ने रोगियों के नाक और गले में मौजूदगी ही नहीं बनाई हो। ऐसे में नाक और गले से स्वैब लेने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आ गई। उन्होंने कहा कि दुनिया इस समय एक नए वारयस का मुकाबला करना सीख रही है।

    संक्रमण

    भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति

    भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,17,353 नए मामले सामने आए और 1,185 मरीजों की मौत हुई है। देश में लगातार दूसरे दिन दो लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं।

    इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1,42,91,917 हो गई है। इनमें से 1,74,308 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 15,69,743 हो गई है।

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