मुंबई में हर साल मानसून में क्यों होता है जलभराव, क्या है समस्याएं?
मुंबई में इस समय भारी बारिश का दौर चल रहा है। पिछले 6 घंटे में ही 300 मिलिमीटर से अधिक बारिश हो चुकी है। रेलवे ट्रैक डूब गए हैं और यातायात भी बाधित हुआ है। बारिश और जलभराव की वजह से 51 उड़ाने निरस्त की जा चुकी है और दर्जनों ट्रेनें भी रद्द हो चुकी हैं। प्रशासन जल निकासी के प्रयास में जुटा है। ऐसे आइए जानते हैं मुंबई में हर मानसून में जलभराव की समस्या क्यों आती है।
मुंबई की स्थलाकृति है बड़ी समस्या
अरब सागर के किनारे 7 द्वीपों से मिलकर बने मुंबई शहर की स्थलाकृति जलभराव के कारणों में सबसे ऊपर आती है। यह शहर किनारों पर काफी ऊंचा है और बीच में से काफी नीचे हैं। एक तरह से शहर की बनावट तलेदार तश्तरी की तरह है। बारिश होती है तो पानी स्वत: ही नीचे इलाकों में जमा होने लगता है, जो बारिश थमने के बाद ही निकलता है। नीचे इलाकों में सायन, अंधेरी सबवे, मिलन सबवे, खार सबवे आते हैं।
समुद्री ज्वार बिगाड़ता है काम
मुंबई का ड्रेनेज सिस्टम इस तरह का है कि पानी समुद्र में जाए, लेकिन समुद्री ज्वार (समुद्र का जल स्तर बढ़ना) के समय ड्रेन्स के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इसका कारण है कि दरवाजे खुले रहने से समुद्र का पानी शहर में घुसकर तबाही मचा सकता है। इससे भारी बारिश बचे हुए ड्रेनेज को भी रोक देती है। इसको ठीक होने में करीब 6 घंटे का समय लगता है, क्योंकि समुद्री ज्वार की अवधि 6 घंटे होती है।
मुंबई से गुजरने वाली नदियां भी है समस्या
मुंबई शहर अरब सागर से घिरा होने के साथ 4 नदियों का भी साक्षी है। शहर के बीच से मीठी, दहिसर, ओशिवारा और पोयसर नदियां बहती है। ये चारों नदियां मानसून के मौसम में शहर की स्थिति और खराब करती है। विशेष रूप से पूरी मुंबई को घेरने वाली मीठी नदी की अधिकतर जगह चौड़ाई केवल 10 मीटर है। ऐसे में तेज बारिश होते ही यह नदी ऊफान पर आती है और इसका पारी शहर में घुस जाता है।
90 प्रतिशत पानी का नालियों में बहाव भी है समस्या
अधिकतर शहरों में बारिश का काफी पानी जमीन में समा जाता है, लेकिन मुंबई में सड़कों का जाल और निर्माण क्षेत्र होने के कारण 90 प्रतिशत पानी नालियों के जरिए बहता है। ऐसे में बारिश में जल निकासी व्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
असामान्य मानसून भी है जलभराव की समस्या
अमूमन सभी शहरों में वहां होने वाली औसत बारिश के आधार पर जल निकासी की योजना बनाई जाती है। हालांकि, मुंबई में पिछले कुछ समय से असामान्य मानसून ने हालातों को और बिगाड़ दिया है। यहां कभी तेज बारिश होती है तो कभी सामान्य से बहुत कम रह जाती है। इसके बाद फिर अति भारी बारिश होने लगती है। ऐसे में विभागीय अधिकारी जन निकासी प्रणाली की सही और कारगर योजना बनाने में विफल साबित हो जाते हैं।
शहर में अतिक्रमण भी है बड़ी समस्या
मुंबई में प्रमुख नालों के किनारे बड़े पैमाने पर अतिक्रमण देखा गया है, जिससे ठोस अपशिष्ट और गाद को साफ करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। मानसून पूर्व नालों की सफाई के बावजूद अक्सर मानसून में नालियां जाम हो जाती हैं। इससे क्षमता से अधिक जलभराव की समस्या रहती है। इसी तरह प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल भी जलभराव का कारण है। बारिश में पॉलीथीन और बोतलें के रूप में यही प्लास्टिक नाली जाम करने की वजह बनता है।
क्या है जलभराव की समस्या का समाधान?
काफी समय से मुंबई में जापान की मदद से अंडरग्राउंड डिस्चार्ज चैनल तैयार करने पर बात हो रही है। इस प्रोजेक्ट में मुंबई को स्पंज सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें शहर स्पंज की तरह काम करेगा यानी पानी डलते ही अंदर सूख जाएगा। शहर को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि पानी तुरंत ही जमीन में चला जाए और ड्रेनेज पर भार न पड़े। हालांकि, यह प्रोजेक्ट अभी बहुत दूर की बात है।
BMC को भी करने होंगे प्रयास
विशेषज्ञों के अनुसार, अंडरग्राउंड डिस्चार्ज चैनल तैयार करने के साथ अधिकारियों को भी सजग होना पड़ेगा। विशेषकर, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को खास प्रयास करने होंगे। इसमें नालियों और नालों का अधिकतम क्षमता के साथ विकास करना, ड्रेनेज सिस्टम की कमियों को समझकर उसे दूर करना, नालियों की नियमित सफाई, सीवरेज के ब्लॉकेज खोलना और अवैध पार्किंग के साथ अतिक्रमण पर भी सख्त कार्रवाई करनी होगी। उसके बाद ही कुछ सार्थक परिणाम नजर आ सकेंगे।