क्यों और कैसे बनाए जाते हैं नए जिले, क्या होता है इसके पीछे सरकार का उद्देश्य?
भारत की प्रशासनिक व्यवस्था में पंचायत, तहसील, जिला, राज्य और देश आता है। भारत सरकार की स्थानीय सरकार निर्देशिका (LDG) के अनुसार, देश में इस समय कुल 785 जिले हैं। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 5 नए जिले बनाने की घोषणा की है। यह नए जिले जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि नए जिले क्यों और कैसे बनते हैं और इनकी प्रक्रिया क्या है।
गृह मंत्री ने नए जिले बनाने के पीछे क्या दिया तर्क?
गृह मंत्री शाह ने नए जिलो की घोषणा के साथ लिखा, 'नए जिलों के निर्माण से केंद्र सरकार लद्दाख की हर गली-मोहल्ले में शासन को मजबूत करेगी और लोगों के लिए लाभ को उनके दरवाजे तक पहुंचाएगी।' उन्होंने आगे लिखा, 'नए जिलों के बनाए जाने से लद्दाख के लोगों के लिए प्रचुर अवसर पैदा होंगे, जिसके लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है।' बता दें कि लद्दाख में अभी तक केवल 2 जिले थे, जिसमें लेह और करगिल शामिल है।
क्यों बनाए जाते हैं नए जिले?
विशेषज्ञों के अनुसार, शासन को आसान बनाने तथा प्रशासन को लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाकर उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए नए जिले बनाए जाते हैं। इससे जिलों में सुशासन और त्वरित कार्य से लोगों के जीवनस्तर में सुधार आता है। जनता और प्रशासन के बीच संवाद बढ़ता है। सरकारी मशीनरी के काम करने की रफ्तार और विकास की रफ्तार तेज होती है और उससे कानून-व्यवस्था नियंत्रण रहती है। सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों जल्द मिलने लगता है।
नया जिला बनने से लोगों को मिलती है कई सुविधाएं
सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नए जिलों का विकास करने के लिए उनको विशेष आर्थिक पैकेज दिया जाता है। इसके अलावा नए कॉलेज और अस्पताल खालने साथ ही अन्य संसाधनों का विकास किया जाता है। इससे आज जनता की मुख्यालयों तक पहुंच आसान हो जाती है। सड़क, बिजली, पानी जैसी जरूरी सुविधाओं में सुधार देखने के लिए मिलता है। यही कारण है सरकारें नए जिलों का गठन करने का निर्णय करती है।
सबसे पहले तैयार किया जाता है प्रस्ताव
नया जिला बनाने के लिए सबसे पहला कदम उसका प्रस्ताव तैयार करना होता है। राज्यों में यह प्रस्ताव राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार तैयार करती है। इसके अलावा, इस तरह के प्रस्ताव स्थानीय प्रशासन, निर्वाचित प्रतिनिधियों या क्षेत्र के राजनीतिक और सामाजिक सहित अन्य संगठनों से भी आ सकते हैं। लद्दाख में भी नए जिलों की लंबे समय से मांग चल रही थी और इसके लिए केंद्र सरकार के पास करीब 9 प्रस्ताव पहुंचे थे।
प्रस्ताव तैयार करने के बाद किया जाता है व्यावहारिक अध्ययन
प्रस्ताव तैयार होने के बाद सरकार को उसका आंकलन करना होता है। इसमें नए जिले की आवश्यकता का व्यावहारिक अध्ययन किया जाता है। इस चरण में क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व, भौगोलिक क्षेत्र, प्रशासनिक सुविधा और संसाधनों की उपलब्धता आदि के लिए आवश्यक कारकों पर भी गंभीरता से विचार किया जाता है। इसके बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों जैसे विभिन्न सामाजिक संठनों के साथ भी इस पर परमार्श किया जाता है।
जिला बनाने के लिए कितनी आबादी आवश्यक है?
मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, किसी शहर को जिला बनाने के लिए उसकी आबादी न्यूनतम 2 लाख होनी चाहिए, लेकिन यह अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। सरकार संबंधित राज्य की कुल आबादी के हिसाब से इसे कम ज्यादा कर सकती है। हालांकि, जिला बनाने के लिए संबंधित क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर विशेष रूप से गौर किया जाता है। उसका प्रमुख बड़े शहरों या राजधानी से सीधा जुड़ाव होना बेहद जरूरी होता है।
जिला बनाने के लिए जारी की जाती है अधिसूचना
सरकार सभी पहलुओं पर परामर्श के बाद नए जिले की सीमाओं का निर्धारण करती है और फिर उसके बाद आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना जारी करती है। इसके बाद अगला कदम जिले के लिए आवश्यक अधोसंरचना विकसित करना होता है। इस चरण में नए जिले में प्रशासनिक कार्यालय, पुलिस स्टेशन, अस्पताल, स्कूल और अन्य आवश्यक सेवाएं और जन सुविधाएं स्थापित करना मुख्य उद्देश्य होता है और उसके लिए बजट और जमीन निर्धारित की जाती है।
संपत्ति और संसाधनों का बंटवारा
जिस तरह से परिवार में सदस्यों के बीच संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। उसी तरह सरकार को भी नए जिले और पुराने जिले के बीच पैतृक जिले की संपत्ति और संसाधनों का बंटवारा करना होता है। यह काम पूरा होने के बाद राज्यों में राज्यपाल से मंजूरी ली जाती है और केंद्र शासित प्रदेशों में गृह मंत्रालय इसे मंजूरी देता है। इसके बाद नया जिला बनने का मार्ग खुल जाता है और वहां जिला स्तरीय काम शुरू होता है।
जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक की तैनाती
जिला बनाने की आधिकारिक घोषणा के साथ ही सरकार संबंधित जिले में जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति करती है। ये अधिकारी जिले के विकास के लिए आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर सरकार के पास भेजते हैं।