कौन हैं सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना, जिन्होंने नोटबंदी के फैसले को बताया गलत?
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सोमवार को केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया। जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने 4:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया। सिर्फ जस्टिस बीवी नागरत्ना नोटबंदी के फैसले से असहमत रहीं। आइए जानते हैं कि जस्टिस बीवी नागरत्ना कौन हैं और उन्होंने फैसले पर असहमति जताते हुए क्या कहा।
दिल्ली में हुई थी जस्टिस नागरत्ना की शुरूआती पढ़ाई
जस्टिस बीवी नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर, 1962 को कर्नाटक के मांड्या जिले के पांडवपुरा (तब मैसूर रियासत) में हुआ था। उनकी शुरूआती स्कूली शिक्षा दिल्ली के नामी भारतीय विद्या भवन स्कूल में हुई। उन्होंने 1984 में नई दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया। जस्टिस नागरत्ना ने इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ लॉ से वकालत में डिग्री हासिल की।
कर्नाटक हाई कोर्ट में जज रह चुकी हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना
जस्टिस बीवी नागरत्ना अगस्त, 2021 में सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले कर्नाटक हाई कोर्ट में जज थीं। उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में करीब 23 साल तक वकालत करने के बाद जज की भूमिका संभाली थी। उन्हें 2008 में हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किया गया था। जस्टिस नागरत्ना को 2010 में कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त किया गया था।
2021 में सुप्रीम कोर्ट की जज बनी थीं जस्टिस नागरत्ना
जस्टिस नागरत्ना 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त हुई थीं। उनके साथ तेलंगाना हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं जस्टिस हिमा कोहली और गुजरात हाई कोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी को भी सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति मिली थी। यह पहली बार था जब सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने एक साथ तीन महिला जजों के नाम केंद्र सरकार के पास नियुक्ति के लिए भेजे थे।
भारत की पहली महिला CJI बन सकती हैं जस्टिस नागरत्ना
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों की वरिष्ठता के हिसाब से जस्टिस बीवी नागरत्ना सितंबर, 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने की उपलब्धि हासिल कर सकती हैं। बतौर रिपोर्ट्स, इस दौरान वह सिर्फ 36 दिनों के लिए हीं CJI रहेंगी। अगर जस्टिस बीवी नागरत्ना CJI बनीं और इतने दिन के लिए CJI रहीं तो यह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में किसी भी CJI का तीसरा सबसे छोटा कार्यकाल होगा।
जस्टिस बीवी नागरत्ना के पिता भी रह चुके हैं CJI
जस्टिस बीवी नागरत्ना के पिता जस्टिस ईएस वेंकटरमैया भी देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रह चुके हैं। उन्होंने वर्ष 1989 में जून से दिसंबर के बीच छह महीनों तक CJI का पदभार संभाला था। उससे पहले वह भी कर्नाटक हाई कोर्ट में जज थे।
जस्टिस नागरत्ना ने नोटबंदी को लेकर क्या कहा?
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी के फैसले पर असहमति जताते हुए इसे गैर-कानूनी बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तय प्रक्रिया के तहत नोटबंदी नहीं की थी और यह एक अधिक गंभीर मुद्दा है जिसने अर्थव्यवस्था और नागरिकों को काफी प्रभावित किया। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को नोटबंदी का फैसला अधिसूचना की जगह विधेयक के जरिए करना चाहिए था और ऐसे महत्वपूर्ण फैसले को पहले संसद के सामने रखा जाना चाहिए था।
पहले भी कई अहम फैसले दे चुकी हैं जस्टिस नागरत्ना
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने वर्ष 2012 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया था। उन्होंने सनसनी फैलाने के संदर्भ में मीडिया को नियंत्रित करने की बात कही थी। उन्होंने 2019 में कर्नाटक के मंदिरों में काम करने वालों को लेकर भी एक अहम फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक के मंदिर कोई व्यावसायिक संस्थान नहीं हैं और काम करने वालों को ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जा सकता है।