
कौन हैं चंडीगढ़ मेयर चुनाव में गड़बड़ी करने वाले अनिल मसीह?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई धांधली को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने पुराने नतीजों को पलटते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रत्याशी कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया है।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कुलदीप के पक्ष में पड़े 8 मतपत्रों पर निशान लगाकर उन्हें अमान्य करार देने के लिए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।
आइए जानते हैं कि चुनाव में गड़बड़ी करने वाले मसीह कौन हैं।
मसीह
कौन हैं मसीह?
58 वर्षीय मसीह की पढ़ाई एक सरकारी स्कूल से हुई है। उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 10 स्थित DAV कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है।
उनकी पत्नी पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक महिला हॉस्टल में मैनेजर हैं और उनका परिवार हॉस्टल कैम्पस में ही रहता है।
राजनीति में आने से पहले मसीह ट्राइसिटी में निजी फर्मों में काम किया करते थे।
हालांकि, कुछ सालों से वह नौकरी छोड़कर राजनीति में ही अपना भविष्य तलाश रहे हैं।
भाजपा
मसीह की भाजपा में कब हुई एंट्री?
2015 से मसीह भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के सक्रिय सदस्य हैं। उन्हें 2021 के चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में वार्ड 13 से भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हालांकि, उन्हें 2021 में अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव नियुक्त किया गया। वह चड़ीगढ़ भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अरुण सूद के करीबी माने जाते हैं।
2022 में भाजपा ने मसीह समेत 9 लोगों को निगम के लिए मनोनीत किया था और वह वर्तमान में पार्षद हैं।
विवाद
पहले भी विवादों में रहे हैं मसीह
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, मसीह का नाम पहले भी विवादों में रहा है। साल 2018 में चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (CNI) की समिति बैठक के दौरान मसीह ने कथित रूप से गाली-गलौज की थी।
इसके बाद चर्च की उनके किसी भी गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इस विवाद के 2 साल बाद CNI के बिशप डेंजल पीपुल्स ने मसीह पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया।
चुनाव विवाद
क्या है मेयर चुनाव से जुड़ा ताजा विवाद?
30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर का चुनाव हुआ था। इसमें 20 वोटों के बाद भी आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस का गठबंधन हार गया, जबकि 16 वोट होने पर भी भाजपा जीत गई थी।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने गठबंधन के 8 वोट अमान्य करार दे दिए थे। इसके बाद AAP ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
अब कोर्ट ने मसीह के फैसले को पलट दिया और उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
पीठासीन अधिकारी
मसीह कैसे चुनाव में बन गए पीठासीन अधिकारी?
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हर साल किसी न किसी पार्षद को ही पीठासीन अधिकारी बनाया जाता है। ये परंपरा साल 1996 से ही चली जा रही है।
इस बार 10 जनवरी को चुनाव होने थे और पूर्व मेयर अनूप गुप्ता के सुझाव पर डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने मसीह को मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया था।
हालांकि, मसीह ने चुनाव में निष्पक्षता नहीं बरती और भाजपा को जिताने के लिए धांधली की।