हरियाणा: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ मामले पर विधानसभा में पेश किया प्रस्ताव
क्या है खबर?
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच शुरू हुई खींचतान बढ़ती जा रही है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से राज्य विधानसभा में चंडीगढ़ पर पंजाब का हक जताने के लिए प्रस्ताव पारित करने के बाद मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी विधानसभा में नया प्रस्ताव पेश किया है।
इसमें पंजाब सरकार के प्रस्ताव की निंदा करते हुए केंद्र सरकार से सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण की मांग की है।
प्रस्ताव
मुख्यमंत्री खट्टर ने क्या प्रस्ताव पेश किया?
हरियाणा सरकार की ओर से बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र की शुरुआत में मुख्यमंत्री खट्टर ने चंडीगढ़ मामले पर एक प्रस्ताव पेश करते हुए 1 अप्रैल को पंजाब विधानसभा के कदम पर गहरी चिंता व्यक्त की।
इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार से सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर के निर्माण के लिए कदम उठाने की अपील की।
इसके साथ ही उन्होंने केंद्र से ऐसा कोई कदम नहीं उठाने को कहा है जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए।
तर्क
मुख्यमंत्री खट्टर ने प्रस्ताव में यह दिया तर्क
मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि सतलुज और यमुना नदियों के पानी पर हरियाणा का संवैधानिक अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में आदेश दे चुका है।
बता दें कि पंजाब और हरियाणा के बीच SYL नहर का मुद्दा कई दशकों से चल रहा है। पंजाब रावी-ब्यास नदी के पानी के अपने हिस्से के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर रहा है तो हरियाणा 35 लाख एकड़ फीट पानी के लिए SYL नहर पूरी करने की मांग कर रहा है।
पृष्ठभूमि
केंद्रीय गृह मंत्री के ऐलान के साथ शुरू हुआ विवाद
27 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि 1 अप्रैल, 2022 से चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों पर अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान नियम लागू होंगे।
इसका आम आदमी पार्टी (AAP) समेत पंजाब के तमाम दलों ने विरोध किया था और चंडीगढ़ पर पंजाब का हक कमजोर करने का आरोप लगाया था।
AAP का कहना था कि भाजपा पंजाब में उसकी जीत से बौखला गई है। कांग्रेस ने इसे संघवाद पर हमला बताया था।
प्रस्ताव
पंजाब विधानसभा ने पारित किया था चंडीगढ़ को वापस उसे सौंपने का प्रस्ताव
इस मामले में 28 मार्च को मुख्यमंत्री मान ने पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब को सौंपने का प्रस्ताव रखते हुए उसे पारित करा दिया।
प्रस्ताव के नोटिस में मान ने कहा था कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत पंजाब को हरियाणा और चंडीगढ़ में बांटा गया था। तब से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड जैसे प्रावधानों के जरिए पंजाब और हरियाणा के प्रतिनिधियों को कुछ अनुपात में प्रबंधन पद देकर साझा इलाकों के प्रशासन चलाया जा रहा था।
विरोध
पंजाब के प्रस्ताव पर हरियाणा ने दर्ज कराया था विरोध
पंजाब सरकार के इस प्रस्ताव का हरियाणा ने विरोध किया था।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था, "उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है। मैंने पहले भी कहा था कि इससे जुड़े कई मुद्दे हैं। यदि वो ऐसा कुछ करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले सतलुज-यमुना लिंक नहर (SYL) मुद्दे को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।"
इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री मान से माफी मांगने को भी कहा था।
इतिहास
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय पंजाब का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था। उस समय पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी।
ऐसे में 1952 में चंडीगढ़ शहर बनाकर उसे पंजाब की राजधानी बनाया गया। उसके बाद 1 नवम्बर, 1966 को पंजाब के हिंदी भाषित पूर्वी भाग को अलग कर हरियाणा राज्य बनाया गया था।
उसके बाद चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी घोषित करते हुए उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।