भ्रष्टाचार के मामले में चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का विभाजित फैसला
क्या है खबर?
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर अब मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ सुनवाई करेंगे।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उनकी याचिका पर विभाजित फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में नायडू ने कथित कौशल विकास घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है। उनकी याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सहमति
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों सुनाया अविभाजित फैसला?
न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और बेला त्रिवेदी की बेंच में मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A को लेकर एकमत नहीं बनी।
न्यायाधीश बोस का मानना था कि धारा 17A के तहत CBI को मामले में FIR से पहले मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता थी और यह कार्रवाई अवैध है।
इसके विपरीत न्यायाधीश त्रिवेदी का मानना था कि मामले में धारा 17A लागू नहीं होती है और CBI को FIR दर्ज करने के लिए मंजूरी न लेने का अधिकार है।
बेंच
कोर्ट ने अपने आदेश में और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट बेंच इस बात पर एकमत रही कि CBI के रिमांड आदेश में कोई खामियां नहीं थीं, जिसके तहत TDP प्रमुख नायडू को गिरफ्तार किया गया और पिछले साल सितंबर में पुलिस हिरासत में भेजा गया।
बेंच ने कहा कि नायडू की याचिका पर एक आधिकारिक निर्णय के लिए 3 न्यायाधीशों की बेंच के गठन के लिए मामला अब CJI चंद्रचूड़ के पास भेजा जा रहा है।
नायडू
नायडू ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
नायडू ने अपनी याचिका में दलील दी कि मामले में उनके खिलाफ FIR सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी प्राप्त किए बिना दर्ज की गई थी और उनकी गिरफ्तारी अवैध थी।
उन्होंने कहा कि CBI द्वारा उनके खिलाफ FIR से पहले भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत अनिवार्य अनुमति आवश्यक थी क्योंकि मामले में सभी कथित कृत्य मुख्यमंत्री के रूप में उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से संबंधित थे।
क्या है घोटाला
क्या है कौशल विकास भ्रष्टाचार का मामला?
ये मामला राज्य कौशल विकास निगम (APSSDC) से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि इसमें निविदा प्रक्रिया मानकों का पालन किए बिना शुरू की गई थी और कैबिनेट की मंजूरी भी नहीं ली गई थी।
CID का आरोप है कि नायडू घोटाले के 'मुख्य षडयंत्रकारी' हैं और इससे राज्य सरकार को करीब 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मामले में 9 सितंबर, 2023 को नायडू को गिरफ्तार किया गया था।
उन्हें हाई कोर्ट से सशर्त अग्रिम जमानत मिली है।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17A के तहत अधिकारियों को किसी लोक सेवक के खिलाफ जांच या जांच शुरू करने से पहले मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
मंजूरी प्राप्त न करने के आधार पर अधिनियम की धारा 13(1) (C), 13(1)(C) और 13(2) के तहत हुए अपराधों के लिए लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
26 जुलाई, 2018 को धारा 17A में यह महत्वपूर्ण संशोधन किया गया था।