कोवैक्सिन: दूसरी खुराक में देरी होने पर क्या होता है और क्या घबराने की जरूरत है?

अभी देश में कोरोना वायरस वैक्सीन की मांग आपूर्ति की तुलना में बहुत अधिक है और इसी कारण कई जगहों पर लोगों को अपनी दूसरी खुराक लगवाने में देरी हो रही है। यह दिक्कत कोवैक्सिन के साथ ज्यादा आ रही है क्योंकि इसकी दो खुराकों के बीच कोविशील्ड की तुलना में कम अंतराल है। आइए जानते हैं कि कोवैक्सिन की दूसरी खुराक लगने में देरी होने पर क्या होता है और इसका इम्युनिटी पर क्या असर पड़ता है।
अभी भारत में इस्तेमाल हो रहे कोरोना वायरस की सभी वैक्सीनें दो खुराक वाली हैं और इनकी दोनों खुराकें लगाने पर ही इम्युनिटी पैदा होती है। जहां पहली खुराक शरीर में आंशिक इम्युनिटी पैदा करती है, वहीं दूसरी खुराक इस इम्युनिटी को बढ़ाती है और लंबी समय तक सुरक्षा देने वाली B-सेल्स पैदा करती है। आमतौर पर दोनों खुराकें लगवाने के 14 दिन बाद ही किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण से सुरक्षा मिलती है।
केंद्र सरकार ने कोवैक्सिन की दो खुराकों के बीच अभी छह हफ्ते का अंतर रखा हुआ है यानि इसकी दूसरी खुराक पहली खुराक के छह हफ्ते बाद लगवानी होती है। इसकी तुलना में कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 12-16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है। कोवैक्सिन की दो खुराकों के बीच कम अंतराल पर विशेषज्ञों का कहना है कि कोवैक्सिन की पहली खुराक मजबूत इम्युनिटी प्रदान नहीं करती है, इसलिए इसकी दूसरी खुराक को जल्दी देना होता है।
अगर खुराकों की कमी या अपने किसी निजी कारण की वजह से आप कोवैक्सिन की दूसरी खुराक समय पर नहीं लगवा पाते तो घबराएं नहीं और जल्द से जल्द दूसरी खुराके लगवाने की कोशिश करें। थोड़ी बहुत देरी होने पर वैक्सीन की प्रभावशीलता में कमी आने की बेहद कम संभावना है। अगर वैक्सीन की कमी के कारण आपकी खुराक लगने में देरी हुई है तो वैक्सीन आते ही अपना स्लॉट बुक कर लें।
अगर आप कोवैक्सिन की पहली खुराक लगवाने के बाद कोरोना से संक्रमित हो गए और इसके कारण आपको दूसरी खुराक लगवाने में देरी हुई तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। दरअसल, कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में प्राकृतिक तौर पर एंटीबॉडीज बन जाती हैं और ऐसे में कुछ समय तक वैक्सीन की जरूरत नहीं होती। डॉक्टर आपको संक्रमण के 2-3 महीने बाद तक वैक्सीन न लगवाने की सलाह दे सकते हैं।
कोरोना वैक्सीनों के ट्रायल में सामने आया था कि वो संक्रमण के खिलाफ कम से कम नौ महीने तक सुरक्षा दे सकती हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन से मिली इम्युनिटी ज्यादा समय तक रहेगी और इसका आंकलन करने के लिए अभी और वक्त की जरूरत है। दूसरी तरफ प्राकृतिक इम्युनिटी के कम से कम 10 महीने तक बने रहने के सबूत सामने आए हैं। वैक्सीन की इम्युनिटी के अधिक मजबूत होने की बात भी सामने आई है।