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    कोरोना वैक्सीन: अपनी आबादी के लिए कैसे पर्याप्त खुराकें सुनिश्चित कर पाए अमेरिका और ब्रिटेन

    कोरोना वैक्सीन: अपनी आबादी के लिए कैसे पर्याप्त खुराकें सुनिश्चित कर पाए अमेरिका और ब्रिटेन

    लेखन प्रमोद कुमार
    May 29, 2021
    05:32 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना वायरस महामारी से दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश भारत इन दिनों वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बाद भी भारत में वैक्सीन की कमी चल रही है।

    दूसरी तरफ अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश अब तक आबादी के बड़े हिस्सों को वैक्सीनेट कर चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन देशों ने पर्याप्त वैक्सीन पाने के लिए क्या किया था?

    आइये, इसका जवाब जानते हैं।

    वैक्सीनेशन अभियान

    UK और US की कितनी आबादी को वैक्सीन लगी?

    ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, दुनियाभर में कोरोना वायरस वैक्सीन की 1.8 अरब खुराकें लगाई जा चुकी हैं।

    अमेरिका अपनी 50 प्रतिशत आबादी को एक और 40 फीसदी आबादी को दोनों खुराकें दे चुका है। इसी तरह UK में 58.2 प्रतिशत आबादी एक और 36 प्रतिशत आबादी वैक्सीन की दोनों खुराकें ले चुकी है।

    अमेरिका और UK के अलावा इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात, हंगरी, चिली और चीन आदि ऐसे देश हैं, जहां तेजी से वैक्सीन लगाई जा रही हैं।

    कोरोना वैक्सीन

    वैक्सीन बनने से पहले ही दे दिया आपूर्ति के लिए ऑर्डर

    वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार मुख्य तौर पर वैक्सीन की उपलब्धता पर निर्भर करती है।

    कई देश महामारी की शुरुआत के बाद से ही वैक्सीनेशन अभियान की तैयारियों में जुट गए थे और इसे शुरू करने के लिए वैक्सीन को हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे थे।

    अमेरिका और UK समेत कई देशों ने उत्पादन शुरू होने से पहले ही कंपनियों के साथ बड़े-बड़े अनुबंध कर लिए थे, जिस वजह से आज उनके पास वैक्सीन की कमी नहीं है।

    जानकारी

    अमेरिका ने वैक्सीन खरीदने के लिए क्या-क्या कदम उठाए?

    अमेरिका ने पिछले साल मई में ऑपरेशन वार्प सीड शुरू किया था। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम था, जिसे कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन, दवाओं और दूसरे उपकरणों के विकास, उत्पादन और वितरण के लिए शुरू किया गया था।

    इसी दौरान जब देश में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी, तभी सरकार ने एस्ट्राजेनेका के साथ 30 करोड़ खुराकों का अनुबंध कर लिया। स्वास्थ्य विभाग को इसके लिए 1.2 बिलियन डॉलर दिए गए।

    कोरोना वैक्सीन

    दिसंबर, 2020 तक अमेरिका ने कर दिया था पर्याप्त ऑर्डर

    एस्ट्राजेनेका के बाद जुलाई, 2020 में ट्रंप प्रशासन ने फाइजर के साथ 10 करोड़ खुराकों के सौदे पर हस्ताक्षर किए।

    अगले ही महीने एक और कंपनी मॉडर्ना से भी इसी तरह 10 करोड़ खुराकों को सौदा कर लिया गया। चार महीने बाद अमेरिका ने एक बार फिर फाइजर के साथ 10 करोड़ खुराकों का एक और सौदा किया।

    इस तरह दिसंबर, 2020 आते-आते अमेरिका ने लगभग अपनी पूरी आबादी के लिए वैक्सीन का इंतजाम कर लिया था।

    वैक्सीनेशन अभियान

    अमेरिका में किशोरों को लगने लगी वैक्सीन

    दिसंबर में अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी।

    दो महीने बाद यानी फरवरी, 2021 में एक और कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को भी इसी तरह की मंजूरी दे दी गई थी।

    वैक्सीनेशन अभियान का शुरुआत में फ्रंटलाइन और स्वास्थ्यकर्मियों, बुजुर्गों को वैक्सीन लगाई गई और उसके बाद सभी के लिए वैक्सीनेशन अभियान खोल दिया गया। अब यहां किशोरों को भी वैक्सीन लग रही है।

    अमेरिका

    उत्पादन तेज करने के लिए लागू किया डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट

    इसी साल फरवरी में अमेरिका ने फाइजर और मॉडर्ना से अतिरिक्त 10 करोड़ खुराकें खरीदने का सौदा किया था।

    फाइजर और मॉडर्ना के अलावा अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसेन वैक्सीन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

    इस बीच अमेरिका ने डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट भी लागू कर दिया था, जिससे निजी क्षेत्र के उद्योगों पर सरकार का नियंत्रण हो गया। इसकी मदद से वैक्सीन और इनके लिए जरूरी सामानों को उत्पादन तेजी से किया गया।

    जानकारी

    दूसरे देशों को वैक्सीन देने का ऐलान कर चुका अमेरिका

    नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने 4 जुलाई तक कोरोना वायरस से आजादी का लक्ष्य रखा है और इसके लिए तेजी से वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इसी बीच अमेरिका ने कुछ जरूरतमंद देशों को भी वैक्सीन देने का ऐलान किया है।

    कोरोना वायरस

    वैक्सीन को सबसे पहले UK में मिली थी मंजूरी

    यूनाइटेड किंगडम कोरोना वायरस वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश है। 2 दिसंबर, 2020 को यहां पर फाइजर की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी।

    इसके महीनेभर बाद ही एस्ट्राजेनेका और मॉडर्ना की वैक्सीन को हरी झंडी दिखा दी गई, जिससे वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार तेज हुई।

    दिसंबर से ही यहां वैक्सीनेशन अभियान शुरू कर दिया गया था, जिसमें स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन कर्मियों के साथ-साथ बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई।

    वैक्सीनेशन अभियान

    पिछले साल जून से वैक्सीन के लिए ऑर्डर दे रहा है UK

    UK ने पिछले साल जून में ही एस्ट्राजेनेका के साथ एक करोड़ खुराकों का सौदा कर लिया था। उस वक्त इस वैक्सीन को विकसित किया जा रहा था। इसके बाद जुलाई में फाइजर के साथ तीन करोड़ खुराकों का सौदा किया, जिसे अक्टूबर में बढ़ाकर चार करोड़ कर दिया गया।

    फैक्टली की रिपोर्ट के अनुसार, UK अब तक कुल 40 करोड़ खुराकों का ऑर्डर कर चुका है, जिससे उसकी पूरी आबादी को तीन बार वैक्सीनेट किया जा सकता है।

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