यूरोप में 12-15 साल के किशोरों पर इस्तेमाल के लिए फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी
यूरोपीय संघ (EU) ने 12-15 साल के किशोरों पर इस्तेमाल के लिए फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन को हरी झंडी दिखा दी है। यूरोपीय देशों में किशोरों पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी पाने वाली यह पहली वैक्सीन है। एम्सटर्डम स्थित यूरोपीय मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) ने शुक्रवार को कहा कि किशोरों ने इस वैक्सीन को अच्छे से ग्रहण किया है और साइड इफेक्ट्स के मामले में गंभीर चिंता नहीं देखी गई है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
कम से कम तीन हफ्तों के अंतराल पर लगेगी दो खुराकें
स्वास्थ्य खतरों और वैक्सीन की रणनीति पर EMA के प्रमुख मार्को कावालेरी ने कहा कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में किशोरों का सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीनेशन अहम है। EMA ने कहा कि किशोरों को भी व्यस्कों की तरह इस वैक्सीन की दो खुराकों की जरूरत पड़ेगी और दोनों खुराकों के बीच कम से कम तीन सप्ताह का अंतराल होना चाहिए। अब यह सदस्य देशों पर निर्भर करता है कि वो कब से वैक्सीन लगाना शुरू करते हैं।
जर्मनी में 7 जून से शुरू हो जाएगा किशोरों के लिए वैक्सीनेशन
जर्मनी ने गुरुवार को कहा था कि वो 7 जून से 12 साल से अधिक उम्र के किशोरों को वैक्सीन लगाने की तैयारी कर रहा है। इसी तरह इटली में भी जल्द ही बच्चों के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू होगा। हर्ड इम्युनिटी तक पहुंचने और महामारी के संक्रमण को कम करने के लिए किशोरों और युवा आबादी को वैक्सीनेट करना अहम माना जा रहा है। शुक्रवार को जापान ने भी कहा कि वह भी किशोरों को वैक्सीन लगाएगा।
किशोरों पर कितनी प्रभावी रही है यह वैक्सीन?
फाइजर का कहना है कि 12-15 साल के किशोरों पर उसकी वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी, जिसका मतलब है कि वैक्सीन लेने वाले किसी भी किशोर को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था। 31 मार्च को फाइजर ने बताया था कि तीसरे चरण के ट्रायल में 12-15 साल के 2,260 किशोरों को वैक्सीन लगाई गई थी। उनमें इस वैक्सीन की 100 प्रतिशत प्रभावकारिता देखी गई और उनके शरीर में वायरस के खिलाफ मजबूत एंटीबॉडीज पाई गईं।
कनाडा और अमेरिका में पहले से हो रहा इस्तेमाल
कनाडा और अमेरिका पहले ही किशोरों के लिए इस वैक्सीन को मंजूरी दे चुके हैं। इससे पहले तक अमेरिका और यूरोप में 16 साल से अधिक उम्र के युवाओं के लिए इस वैक्सीन को इस्तेमाल किया जा रहा था।
मॉडर्ना भी जल्द मांगेगी मंजूरी
फाइजर के अलावा दूसरी कंपनियां भी किशोरों पर अपनी वैक्सीन के ट्रायल कर रही है। इसी हफ्ते अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने कहा था कि 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों पर उसकी वैक्सीन सफल और प्रभावी रही है। कंपनी अमेरिका में किशोरों पर इस्तेमाल की मंजूरी पाने के लिए जल्द ही आवेदन करने की योजना बना रही है। मॉडर्ना की वैक्सीन को पहले से व्यस्कों पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
अमीर देशों की हो रही आलोचना
अमीर देश जहां व्यस्कों के साथ-साथ किशोरों का भी वैक्सीनेशन शुरू कर चुके हैं, वहीं गरीब देशों के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी अभी तक वैक्सीन का इतंजाम नहीं हो पाया है। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमीर देशों की आलोचना की है। संगठन के प्रमुख ने कहा कि कई देशों के पास वैक्सीन का ढेर है और वो उन लोगों को वैक्सीनेट कर रहे हैं, जिन्हें महामारी से सबसे कम खतरा है, जबकि स्वास्थ्यकर्मियों तक वैक्सीन नहीं पहुंची है।