अब व्यक्ति की आवाज से होगा कोरोना वायरस का टेस्ट, मुंबई में किया जाएगा ट्रायल

दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच टेस्टिंग की नई-नई तकनीक भी सामने आ रही हैं, जिनका मकसद जल्द से जल्द नतीजे देना है ताकि संक्रमण फैलने के खतरे को कम किया जा सके। महाराष्ट्र सरकार मुंबई में टेस्टिंग की ऐसी ही एक नई तकनीक अपनाने जा रही है, जिसमें वॉइस सैंपल (आवाज) की मदद से कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच की जाएगी।
मुंबई में इस्तेमाल की जाने वाली टेस्टिंग की इस तकनीक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत कंप्यूटर या मोबाइल में वॉइस एनालिसिस ऐप इंस्टॉल किया जाएगा और कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों को इसमें बोलने को कहा जाएगा। इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपना काम शुरू करेगी और ऐप में पहले से मौजूद स्वस्थ लोगों की आवाज से मिलान कर संदिग्ध की आवाज की फ्रीक्वेंसी और आवाज में खरखराहट या किसी अन्य ध्वनि की जांच की जाएगी।
ऐप में संदिग्ध मरीज के शरीर का तापमान और ब्लड प्रेशर आदि भी दर्ज होगा। इन अभी आंकड़ों और वॉइस सैंपल की पड़ताल करने के बाद ऐप 30 सेकंड के अंदर संदिग्ध की कोरोना वायरस रिपोर्ट दे देगा।
चूंकि कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ों पर हमला करता है और फेफड़ों का संबंध सांस लेने से है, इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस से संक्रमित व्यक्ति की आवाज में बदलाव जरूर होता होगा। हमारे कान तो इन बदलावों को नहीं पकड़ पाते, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जरूर इन बदलावों को पकड़ सकती है और यही इस नए टेस्ट का आधार है। इस तकनीक में जिस ऑडियो एनालिसिस ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसका नाम टिंबर है।
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के अनुसार, शुरूआती ट्रायल में कोरोना वायरस के 1,000 संदिग्ध मरीजों पर इस नए टेस्ट का परीक्षण किया जाएगा। आवाज वाले इस टेस्ट के साथ-साथ इन मरीजों का RT-PCR टेस्ट भी किया जाएगा और दोनों के नतीजे मिलाए जाएंगे। अगर आवाज पर आधारित टेस्ट के नतीजे सही पाए जाते हैं तो इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाएगा। सफल होने पर अस्पतालों में भी इसका इस्तेमाल किए जा सकता है।
यूं तो दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमण की जांच के लिए कई तरह के टेस्ट का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इनमें RT-PCR और एंटीजन टेस्ट सबसे भरोसेमंद साबित हुए हैं। RT-PCR टेस्ट में नाक और गले से सैंपल लेकर इसमें कोरोना वायरस के जेनेटिक मेटेरियल की मौजूदगी की जांच की जाती है। ये अब तक का सबसे सटीक टेस्ट है। वहीं एंटीजन टेस्ट में इसी तरह सैंपल लेकर कोरोना वायरस की प्रोटीन की जांच की जाती है।