अलविदा 2022: हिजाब से लेकर नुपुर शर्मा तक, साल के 5 सबसे बड़े विवाद
2022 खत्म होने को है और हर साल की तरह इस साल भी कई ऐसे विवाद हुए जो राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहे। इनमें से कुछ विवादों ने देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा दिया, वहीं कुछ विवादों ने राजनीति पर असर डाला। कुछ ने धार्मिक स्वतंत्रता पर बहस शुरू की तो कुछ ने बेरोजगार युवाओं का गुस्सा उजागर किया। आइए आपको 2022 में भारत में हुए पांच सबसे बड़े विवादों के बारे में बताते हैं।
कर्नाटक का हिजाब विवाद
2022 की शुरुआत भाजपा शासित कर्नाटक के हिजाब विवाद से हुई जिसने राज्य के साथ-साथ पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा दिया। उडुपी में छह मुस्लिम छात्राओं को हिजाब के साथ कक्षा में प्रवेश देने से इनकार करने पर इस विवाद की शुरुआत हुई। देखते ही देखते यह विवाद अन्य कॉलेज-स्कूलों और जिलों में भी फैल गया। कट्टरपंथी संगठनों ने इस विवाद का पूरा फायदा उठाने की कोशिश की और छात्रों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया।
अभी हिजाब विवाद की क्या स्थिति?
हिजाब विवाद ने पूरे देश को दो हिस्सों में बांट दिया था। एक तरफ वो लोग थे जिन्होंने छात्राओं की शिक्षा को सर्वोपरि माना, वहीं दूसरी तरफ वो लोग थे जिनका कहना था कि शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीक नहीं पहने जा सकते। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और उसकी दो सदस्यीय बेंच ने कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य सरकार के आदेश पर विभाजित फैसला दिया था। मुख्य न्यायाधीश (CJI) आगे की कार्रवाई तय करेंगे।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
यूं तो ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित विवाद सदियों पुराना है, लेकिन मौजूदा विवाद की शुरुआत वाराणसी कोर्ट में पांच हिंदू महिलाओं की याचिका से हुई। इन महिलाओं ने मस्जिद परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी की सालभर पूजा करने की इजाजत मांगी और इसके कुएं में शिवलिंग होने का दावा करते हुए इसके वीडियो सर्वे की मांग की। कोर्ट के आदेश पर मई में मस्जिद का वीडियो सर्वे कराया गया जिसमें इसके तालाब (वजूखाने) में शिवलिंग जैसी संरचना मिली।
ज्ञानवापी केस की अभी क्या स्थिति?
ज्ञानवापी मामले पर अभी वाराणसी जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट में हिंदू याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों और "शिवलिंग" की सालभर पूजा करने की इजाजत मांगी है। मस्जिद समिति इस याचिका का विरोध कर रही है और उसने शिवलिंग जैसी संरचना को पानी का फव्वारा बताया है। जिस तालाब में शिवलिंग जैसी संरचना मिली है, वह अभी सील है।
नुपुर शर्मा की टिप्पणी पर विवाद
ज्ञानवापी मामले से ही तीसरा और 2022 का सबसे बड़ा विवाद उपजा। मामले पर एक टीवी बहस के दौरान भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जो जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। उनके इस बयान का न केवल भारत, बल्कि मुस्लिम देशों में भी जमकर विरोध हुआ और उनके खिलाफ प्रदर्शन किए गए। कई लोगों और संगठनों ने नुपुर को जान से मारने की धमकी भी दी।
विवाद का क्या असर हुआ और अभी क्या स्थिति है?
नुपुर शर्मा के बयान के बाद हुए विवाद से देश का सांप्रदायिक माहौल खराब हो गया था। उनके बयान के खिलाफ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने 'सर तन से जुदा' मुहिम चलाई थी। उनके बयान का समर्थऩ करने के लिए कुछ जगहों पर लोगों की हत्याएं भी गई थीं। विवाद के बाद भाजपा ने नुपुर को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था और वह तभी से अज्ञात जगह पर रह रही हैं।
अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन
जून में केंद्र सरकार तीनों सेनाओं में भर्ती की नई अग्निपथ योजना लेकर आई, जिसके खिलाफ देश के कई राज्यों में छात्रों और बेरोजगारों ने बड़ा प्रदर्शन किया। इस योजना के जरिए सेना की नौकरी को भी अस्थायी कर दिया गया है और भर्ती प्रक्रिया में सफल होने वाले उम्मीदवारों को महज चार साल के लिए सेना में काम करने का मौका मिलता है। इन 'अग्निवीरों' को सुविधाएं और छुट्टियां भी आम जवानों के मुकाबले कम मिलती हैं।
अभी अग्निपथ योजना की क्या स्थिति?
युवाओं के भारी विरोध के बावजूद केंद्र सरकार और सेना ने अग्निपथ योजना को वापस लेने से इनकार कर दिया और अभी इस योजना के तहत भर्तियां भी हो रही हैं। शुरुआत में तो युवाओं ने योजना का जमकर विरोध किया और बिहार में कई ट्रेनों को फूंक दिया, लेकिन जब उन्हें कानूनी कार्रवाई और सेना के लिए अयोग्य घोषित करने की चेतावनी दी गई तो प्रदर्शन शांत हो गए। अब ये मुद्दा बिल्कुल शांत पड़ा है।
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की बगावत
महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की पार्टी प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत भी खूब सुर्खियों में रही। मध्य जून में शिंदे ने लगभग 40 विधायकों के साथ ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी। उनकी इस बगावत के कारण ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवेसना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) गठबंधन की सरकार गिर गई। इसके बाद शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली और शिंदे अभी मुख्यमंत्री हैं।
विवाद में अभी क्या हो रहा है?
अभी शिवसेना ठाकरे और शिंदे के दो गुटों में बंटी हुई है। शिंदे गुटे भाजपा के साथ सरकार में है, वहीं ठाकरे गुट विपक्ष में है। शिंदे और ठाकरे दोनों पार्टी पर दावा कर रहे हैं और इसकी सुनवाई चुनाव आयोग में चल रही है।
ये विवाद भी सुर्खियों में रहे
नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने राहुल गांधी और सोनिया गांधी की पेशी के मुद्दे पर भी जमकर विवाद हुआ और कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार की बदले की राजनीति बताया। पार्टी ने मामले पर संसद से लेकर सड़क तक प्रदर्शन किया। जनवरी में पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच जमकर तकरार हुई। मार्च में बंगाल में बीरभूम हिंसा पर भी जमकर विवाद हुआ।