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उत्तरकाशी सुरंग हादसा: मजदूरों को बचाने के लिए 5 तरफ से ड्रिलिंग कर रहीं 5 एजेंसी
उत्तरकाशी सुरंग हादसा: फंसे हुए मजदूरों के लिए बचाव अभियान जारी

उत्तरकाशी सुरंग हादसा: मजदूरों को बचाने के लिए 5 तरफ से ड्रिलिंग कर रहीं 5 एजेंसी

लेखन महिमा
Nov 20, 2023
10:59 am

क्या है खबर?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए लगातार 9वें दिन प्रयास जारी हैं। आज वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीन लाई जा रही है, जिससे 5 तरफ से सुरंग में ड्रिलिंग की जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार की टीमें लगातार मजदूरों के संपर्क में हैं। परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा कि 5 अलग-अलग एजेंसियां ​​बचाव के विकल्पों पर काम करेंगी। आइए जानते हैं कौन-सी एजेंसियां इस बचाव अभियान में लगी हुई हैं।

एजेंसी

बचाव प्रयास में कौन-सी एजेंसियां लगी हुई हैं?

जैन ने कहा, "5 विकल्प तय किए गए हैं और इन विकल्पों को पूरा करने के लिए 5 अलग-अलग एजेंसी तय की हैं। इनमें तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC), सतलुज जल विद्युत निगम (SJVNL), रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL), और टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (THDCL) को शामिल हैं।" उन्होंने कहा, "सीमा सड़क संगठन (BRO) और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है।"

जिम्मेदारी

SJVNL और  RVNL  को क्या जिम्मेदारी गई है?

फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए SJVNL सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग करेगा। इसके लिए गुजरात और ओडिशा से RVNL के माध्यम से मशीनें मंगाई गई हैं। इसके अलावा BRO के एक दिन में ही 1,150 मीटर की सड़क बनाने के बाद RVNL ने भी एक वर्टिकल पाइपलाइन पर काम शुरू कर दिया है। इसके जरिए आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई की जाएगी।

रिपोर्ट

ONGC और NHIDCL भी कर रहे ड्रिलिंग

गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाला ONGC ने भी बरकोट छोर से वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया है। आज उसके अधिकारी साइट का दौरा कर रिपोर्ट बनाएंगे और उसे एक-दो दिन में केंद्र सरकार को सौंपेंगे। NHIDCL सिल्क्यारा छोर से ड्रिलिंग कर 6 इंच की पाइपलाइन डाल रही है । यहां पहले से एक 4 इंच की पाइप डली हुई है, जिससे अभी मजदूरों तक मदद पहुंचाई जा रही है।

केंद्रीय एजेंसी

THDC करेगी बड़कोट से सुरंग का निर्माण

THDC बड़कोट से 483 मीटर लंबी सुरंग निर्माण का काम करेगी, जिसके लिए भारी मशीनरी पहले ही जुटाई जा चुकी है। IAS अधिकारी नीरज खैरवाल को विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। वह आज घटनास्थल पर पहुंच सकते हैं। बता दें कि भारतीय सेना भी इस बचाव कार्य की प्रगति की निगरानी के लिए मौके पर मौजूद है। हवाई निगरानी एक लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

योजना

इसके अलावा और क्या है योजना?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा कि RVNL ने विशिष्ट उपकरणों का उपयोग कर 170 मीटर लंबी सुरंग बनाने की भी योजना बनाई है, जो 21 नवंबर तक साइट पर पहुंच जाएगी। सेटअप 23 नवंबर (गुरुवार) तक पूरा होने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि NHIDCL के पास सुरंग को मजबूत करने और बाहर निकलने के मार्ग के निर्माण की जिम्मेदारी है। बता दें, मजदूरों की सेहत के लिए मौके पर डॉक्टर भी मौजूद हैं।

जानकारी

मजदूरों को निकालने में और कितना समय लग सकता है?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "यदि ऑगर मशीन सही से काम करती है तो हम अगले 2-2.5 दिनों में मजदूरों को निकाल लेंगे। विशेष मशीनें लाने के लिए BRO द्वारा सड़कें बनाई जा रही हैं।"

प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने की मुख्यमंत्री से बात, परिजनों की बढ़ी चिंता 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की और उन्हें फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए चल रहे अभियान में हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। इसके अलावा केंद्र सरकार ने सभी एजेंसियों से बचाव अभियान में अब तक हुए कार्यों की रिपोर्ट मांगी है। दूसरी तरफ सुरंग के बाहर खड़े परिवारों की चिंता बढ़ती जा रही है। कुछ मजदूरों से बात करने के बाद परिजनों ने कहा कि मजदूर अब कमजोर पड़ रहे हैं।

जानकारी

कैसे पहुंचाई जा रही मजदूरों तक मदद?

बचाव अधिकारियों के अनुसार, मजदूरों तक बिजली आपूर्ति सुचारु है। उन्हें पानी की पाइपलाइनों के जरिए खाने-पीने की चीजें और आवश्यक दवाइयां भेजी जा रही हैं। उनके पास चलने और सांस लेने के लिए लगभग 1 किलो मीटर का बफर जोन है।

हादसा

12 नवंबर से सुरंग में फंसे हैं 41 मजदूर 

12 नवंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे उत्तरकाशी में भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। इनमें झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल का एक मजदूर शामिल है। सभी मजदूर सुरंग में सुरक्षित हैं और उन्हें खाने-पीने की चीजें लगातार मुहैया कराई जा रही हैं।