उत्तरकाशी सुरंग हादसा: 4 दिनों से फंसे हैं 40 मजदूर, नॉर्वे-थाइलैंड के विशेषज्ञों से मांगी मदद
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिल्क्यारा स्थित सुरंग के धंसने से हुए हादसे में फंसे 40 मजदूरों को अभी भी निकाला नहीं जा सका है। यह हादसा 12 नवंबर को हुआ था। मजदूरों को निकालने के लिए अब नॉर्वे और थाइलैंड के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। अधिकारियों ने जानकारी दी कि नॉर्वे-थाइलैंड से विशेष टीमों की मांग की जा रही है, जिन्होंने ऐसी आपदाओं की स्थिति से निपटने की कला में महारत हासिल की है।
कैसे सुरंग में फंसे मजदूर?
दरअसल, 12 नवंबर को सुबह लगभग 5:00 बजे उत्तरकाशी में भूस्खलन के चलते ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसमें 40 मजदूर अंदर फंस गए। इनमें झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल का एक मजदूर शामिल है। फिलहाल सभी मजदूर सुरंग में सुरक्षित हैं।
वायुसेना के विमानों की मदद से पहुंची ऑगर मशीन
भारतीय वायुसेना (IAF) के हरक्यूलिस विमान द्वारा दिल्ली से लाई गई नई अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन की तीसरी खेप चिन्यालीसौड़ हेलीपैड से सुरंग के पास पहुंच चुकी है। इस मशीन के पुर्जों को 3 ट्रकों द्वारा पहुंचाया जा रहा जिनमें 2 ट्रक सुरंग के पास पहुंच चुके हैं। तीसरा ट्रक भी जल्द ही यहां पहुंच जाएगा। इस मशीन की मदद से प्रति घंटे 5 मीटर मलबा निकाला जा सकेगा और फिर पाइप के जरिए मजदूरों को निकाला जा सकता है।
बचाव दल ने बताया, अब थायलैंड और नॉर्वे से ली जाएगी मदद
मीडिया से बातचीत में राहत एवं बचाव मिशन के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने कहा, "सुरंग में फंसे हुए 40 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए अब नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों से मदद ली जाएगी।" उन्होंने आगे कहा, "बचाव में शामिल टीमों ने एक थाई कंपनी से संपर्क किया है, जिसने 2018 में उत्तरी थाईलैंड के चियांग राय प्रांत में एक गुफा में फंसी जूनियर एसोसिएशन फुटबॉल टीम को बचाने में मदद की थी।"
बचाव अभियान में क्या आ रही मुश्किल?
न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल पर भुरभुरी मिट्टी के कारण बचाव अभियान में मुश्किलें आ रही हैं। जैसे ही मलबा हटाने के लिए छेद किया जाता है तो ऊपर से और मलबा गिर जाता है और काम बढ़ जाता है। मंगलवार रात साढ़े 12 बजे तक ड्रिलिंग मशीन के जरिए माइल्ड पाइप डालने का काम किया जा रहा था। इस दौरान मिट्टी धंस गई गई और काम रोकना पड़ा।
स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया- फंसे मजदूरों की बिगड़ने लगी है तबीयत
इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने बुधवार को बताया कि अंदर मौजूद कुछ मजदूरों ने मामूली सिरदर्द, उल्टी, चिंता और गैस्ट्राइटिस की शिकायत की है। उनकी सहायता के लिए 6 इंच के पाइप के माध्यम से आवश्यक दवाओं, मल्टीविटामिन, ग्लूकोज और सूखे फल भेजे जा रहे हैं। मजदूरों ने बताया कि उनके चलने और सांस लेने के लिए लगभग 1 किलोमीटर का बफर जोन है।
ट्रेंचलेस तकनीक के जरिए निकालने जाएंगे मजदूर
ट्रेंचलेस तकनीक की मदद से 900 मिमी व्यास वाले माइल्ड स्टील पाइपों के माध्यम से रास्ता बनाने का काम कभी भी शुरू हो सकता है। इसके लिए अमेरिकन ऑगर ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा जिसमें लगे स्पाइरल ब्लेड मिट्टी को ड्रिल करते हुए उसे छेद से दूर धकेलेगी। इसके बाद एक के बाद एक माइल्ड स्टील पाइप इसमें डाले जाएंगे जिससे अंदर के लोगों के लिए रेंगने के लिए पर्याप्त चौड़ा रास्ता बन सकेगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
23 जून, 2018 को थाईलैंड में 12-16 की उम्र के 12 बच्चे और उनका एक कोच एक 4 किलोमीटर लम्बी गुफा में 7 दिनों तक फंसे रहे थे। इस दौरान बच्चों को उच्च प्रोटीन तरल आहार और एंटीबायोटिक दवाओं की भारी खुराक दी जा रही थी। थाई नौसेना ने भारी संख्या में गुफा से पानी बाहर निकाला फिर भी पानी भर रहा था। इस बचाने वाली टीम से ही मदद मांगी गई है।