
उत्तर प्रदेश: पंचायत चुनावों के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिजनों को दिया गया मुआवजा
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले करीब 2,000 कर्मचारियों के आश्रितों को सरकार ने 600 करोड़ रुपये मुआवजा दिया है।
राज्य सरकार ने 26 अगस्त को 606 करोड़ रुपये राज्य चुनाव आयोग के पास भेजने और इसे जिलाधिकारियों के जरिये वितरित करने के आदेश दिए थे।
ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित होकर जान गंवाने वाले हर कर्मचारी के परिवार को 30 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।
मुआवजा
एक हफ्ते के भीतर भेजा जाएगा पैसा
न्यूज18 के अनुसार, सरकार की तरफ से जारी आदेश में सभी जिलाधिकारियों को एक हफ्ते के भीतर RTGS से लाभार्थियों के खाते में यह पैसा भेजने को कहा गया है। इस आदेश में कुल 2,128 कर्मचारियों के नाम हैं। इनमें से 2,097 की कोरोना संक्रमण और 31 की दूसरे कारणों से मौत हुई थी।
बता दें, शुरुआत में सरकार ने चुनावों के दौरान ड्यूटी पर कुछ ही कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत होने की बात कही थी।
मुआवजा
नियमों में किया गया बदलाव
राज्य चुनाव आयोग के नियमों के तहत पहले केवल उसी मौत को ड्यूटी पर हुई मौत मानी जाती थी, जो कर्मचारी के घर से निकलने के बाद और लौटने से पहले हुई हो।
सरकार ने अब इसमें संशोधन करते हुए यह दायरा बढ़ाया है।
आदेश में कहा गया है कि अब सरकार पंचायत चुनावों की ट्रेनिंग, चुनाव और मतगणना के 30 दिनों के भीतर अगर किसी कर्मचारी की मौत हुई है तो उसे भी मुआवजे का पात्र मान रही है।
जानकारी
606 करोड़ रुपये किए जा चुके हैं जारी
26 अगस्त के आदेश के अनुसार, सरकार ने मुआवजे के लिए 606 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं और 27.75 करोड़ रुपये का इंतजाम किया जा रहा है। कुल 2,128 मृतक कर्मचारियों के लिए 633.75 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
उत्तर प्रदेश
महामारी की दूसरी लहर के दौरान हुए थे चुनाव
बता दें कि उत्तर प्रदेश में अप्रैल के आखिरी दो हफ्तों में पंचायत चुनाव आयोजित किए गए थे। इसी समय देश में महामारी की दूसरी लहर अपनी पीक की तरफ बढ़ रही थी।
महामारी के सबसे खतरनाक दौर के बीच चुनाव आयोजन को लेकर आयोग और राज्य सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई बार इन चुनावों को रद्द करने की मांग भी उठी थी।
जानकारी
हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को भेजा था नोटिस
मई में सरकार ने चुनाव आयोग के नियमों का हवाला देते हुए बताया था कि केवल तीन शिक्षकों की ड्यूटी के दौरान मौत हुई थी। वहीं राज्य के शिक्षा संगठनों का कहना था कि चुनावों के दौरान करीब 2,000 शिक्षकों की मौत हुई थी।
हाई कोर्ट ने चुनावों के दौरान कर्मचारियों की मौतों पर आयोग को नोटिस जारी कर पूछा था कि वह कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने में नाकाम क्यों रहा और क्यों न उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।