पंजाब: नए कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा महामंत्री ने दिया इस्तीफा
क्या है खबर?
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता मालविंदर सिंह कंग ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
कंग भाजपा की पंजाब इकाई के महामंत्री थे और प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा के करीबी माने जाते हैं।
कंग ने कहा कि पार्टी में कृषि कानूनों पर उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं हैं और शीर्ष नेतृत्व पंजाब के लोगों की भावना की कद्र नहीं कर रहा।
पृष्ठभूमि
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इनके जरिए सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
दावा
किसानों का मुद्दा उठाने पर मुझे पाकिस्तानी कहा गया- कंग
कंग ने दावा करते हुए कहा, "पार्टी की कोर कमेटी की सदस्य होने के नाते मैंने अध्यादेश पारित होने के समय और उसके बाद भी विरोध किया था। मैंने हर बैठक में यह मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन मुझे नहीं सुना गया। किसानों के मुद्दे उठाने के लिए राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने मुझे पाकिस्तानी करार दे दिया। जब मैंने इसका विरोध किया तो उन्होंने माफी मांगी। किसानों की बात करने वालों के साथ भाजपा ऐसा रवैया रखती है।"
राजनीति
कंग का इस्तीफा इसलिए भाजपा के लिए बड़ा झटका
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कंग पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स काउंसिल के प्रमुख रहे थे और एक साधारण कार्यकर्ता के तौर पर भाजपा में शामिल हुए।
कई सालों की मेहनत के बाद वो भाजपा की राज्य ईकाई के महासचिव पद पर पहुंचे थे। कंग पंजाब में भाजपा के चुनिंदा सिख चेहरों में शामिल थे।
उनका इस्तीफा भाजपा के लिए इसलिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि पार्टी पंजाब में सिख चेहरों की तलाश कर रही है।
बयान
सरकार नहीं सुन रही किसानों की बात- कंग
कंग ने कहा कि जब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी चंडीगढ़ आए थे, तब भी उन्होंने किसानों की बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की थी।
कंग ने आगे कहा, "उन्होंने मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया। कानून में संशोधन या किसानों से बात करने की बात उन्होंने यह कहते हुए टाल दी कि कुछ लोग इन्हें गुमराह कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा भाजपा में ऐसा माना जाता है कि जो प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं वो सब ठीक है।
विरोध
कानूनों के विरोध में अकाली दल भी हो चुका है सरकार से अलग
विपक्षी पार्टियों और किसानों के अलावा भाजपा के भीतर और सहयोगियों दलों में भी इन कानूनों का विरोध हो रहा है।
केंद्रीय मंत्रीमंडल में शिरोमणि अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हरसिमरत कौर बादल भी कानूनों के विरोध में इस्तीफा दे चुकी हैं।
अकाली दल भी इन कानूनों के विरोध में NDA से अलग हो चुका है।
हरियाणा और पंजाब में भाजपा के कई नेता किसानों के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।