लगातार बढ़ रहे दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामले, बीते साल 32,563 ने ली अपनी जान
क्या है खबर?
देश में आत्महत्या करने वाले लोगों में दिहाड़ी मजदूरों का हिस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। छह साल पहले की तुलना में 2019 में यह दोगुना होकर 23.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, पिछले साल देशभर में कुल 1,39,563 लोगों ने आत्महत्या की थी। इनमें से लगभग एक चौथाई 32,563 लोग दिहाड़ी मजदूर थे।
बता दें दिहाड़ी मजदूरों के आंकड़ों में खेतों में काम करने वाले मजदूर शामिल नहीं हैं।
जानकारी
तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मजदूरों ने की आत्महत्या
बीते साल के NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा 5,186 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। इसके बाद महाराष्ट्र में 4,128, मध्य प्रदेश में 3,964, तेलंगाना में 2,858 और केरल में 2,809 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की थी।
NCRB रिपोर्ट
कम हो रहे हैं खेती से जुड़े मजदूरों की आत्महत्या के मामले
दिहाड़ी मजदूरों के बाद 'गृहणियों' ने सबसे ज्यादा आत्महत्या की। NCRB के मुताबिक, बीते साल 21,559 गृहणियों ने आत्महत्या की थी, जो कुल आंकड़े का 15.4 प्रतिशत हिस्सा है।
दूसरी तरफ अच्छी खबर यह है कि खेती के कामों में लगे मजदूरों की आत्महत्या का आंकड़ा धीरे-धीरे घटना जा रहा है।
बीते साल हुई अपनी जान लाने वाले कुल 1,39,563 लोगों में से सिर्फ 3.1 खेती-किसानी से जुड़े मजदूर थे।
चिंता
2014 के बाद से लगातार बढ़ रहा है दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या का प्रतिशत
NCRB ने साल 2014 से दिहाड़ी मजदूरों की 'हादसों में हुई मौत और आत्महत्या' के अलग-अलग आंकड़े जुटाना शुरू किया था।
उस साल अपनी जान खुद लेने वाले कुल लोगों में से 12 प्रतिशत दिहाड़ी मजदूर थे। इसके बाद से यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।
2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 17.8 प्रतिशत, 2016 में 19.2 प्रतिशत, 2017 में 22.1 प्रतिशत, 2018 में 22.4 प्रतिशत और 2019 में 23.4 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
NCRB
आत्महत्या के कारणों को नहीं बताती रिपोर्ट
अगर संख्या के हिसाब से देखें तो 2014 में जहां 15,735 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, वहीं पिछले साल यह संख्या दोगुने से भी ज्यादा 32,563 पर पहंच गई।
NCRB आत्महत्या के मामलों को नौ श्रेणियों में विभाजित करता है।
इनमें दिहाड़ी मजदूरों, गृहणियों, खेती में लगे मजदूरों के अलावा पेशेवर, छात्र, खुद का व्यापार करने वाले, रिटायर्ड कर्मचारी, बेरोजगार और अन्य लोग होते हैं।
NCRB की यह रिपोर्ट सिर्फ आत्महत्या करने वाले लोगों का पेशा बताती है।
जानकारी
आत्महत्या करने वालों में 10.1 प्रतिशत बेेरोजगार
वहीं पिछले साल आत्महत्या करने वाले लोगों में 10.1 प्रतिशत बेरोजगार थे। यह संख्या पिछले 25 सालों में पहली बार दहाई के अंकों में पहुंची है। 2018 में 12,936 बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या की थी, जो पिछले साल बढ़कर 14,019 हो गई।
आत्महत्या
तीन साल में 4.03 लाख लोगों ने की आत्महत्या
NCRB के रिकॉर्ड के अनुसार भारत में 2017-2019 के बीच कुल 4,03,526 लोगों ने आत्महत्याएं की हैं।
इनमें सबसे ज्यादा आत्महत्या साल 2019 में 1,39,123 लोगों ने की थी। इसी तरह साल 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 लोगों ने आत्महत्या की थी।
इसके हिसाब से साल 2019 में प्रतिदिन औसतन 381, साल 2018 में 368 और साल 2017 में 355 लोगों ने आत्महत्या की थी। यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है।