निर्भया केस: फांसी से बचने के लिए अब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पहुंचे दोषी
निर्भया केस में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में से तीन ने बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का दरवाजा खटखटाया है। अक्षय, पवन और विनय ने ICJ से उनकी फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है। आपको बता दें कि इन चारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी हो चुका है, जिसके तहत इन्हें 20 मार्च की सुबह तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी। फांसी को टालने के लिए दोषी हरसंभव कोशिश में जुटे हैं।
दोषियों के सभी कानूनी और संवैधानिक अधिकार खत्म
आपको बता दें कि फांसी के फंदे से बचने के लिए चारों दोषियों के सभी कानूनी और संवैधानिक अधिकार खत्म हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से चारों की फांसी पर मुहर लगने का बाद राष्ट्रपति ने भी चारों की दया याचिका रद्द कर दी थी। इसके बाद चारों का फांसी पर लटकना तय है। उनको फांसी होने में अब पांच दिन बाकी बचे हैं, ऐसे में ऐन मौक पर दोषियों के वकील ने ICJ का दरवाजा खटखटाया है।
क्या है ICJ?
ICJ संयुक्त राष्ट्र (UN) का प्रमुख न्यायिक अंग है, जो हेग (नीदरलैंड) में स्थित है। इसकी स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा की गई और अप्रैल, 1946 में इसने काम करना शुरू किया था। यह राष्ट्रों के बीच के मामले सुलझाता है। याद दिला दें कि ICJ ने ही पाकिस्तान की कैद में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाई थी। जाधव को जासूसी के मामले में पाकिस्तान ने फांसी की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की मुकेश की याचिका
इससे पहले सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने चौथे दोषी मुकेश की फिर से क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका दायर करने की इजाजत वाली याचिका खारिज कर दी है।
मुकेश ने क्या याचिका दायर की थी?
मुकेश ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उसके लिए नियुक्त पूर्व एमिकस क्यूरी वृंदा ग्रोवर ने उस पर दबाव डालकर उसकी क्यूरेटिव याचिका जल्दी दाखिल कराई थी, जबकि उसके पास यह याचिका देने में काफी समय बचा था। मुकेश ने मांग की थी कि उसे फिर से जुलाई, 2021 तक क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका दायर करने का मौका दिया जाए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।