गुजरात दंगे: गोधरा कांड के 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने की आधार पर जमानत दी?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के गोधरा कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को बड़ी राहत दी है। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI) की बेंच ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 8 आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि मामले में सजा-ए-मौत पाए 4 दोषियों को छोड़कर बाकी को जमानत दी जा सकती है।
आइए जानते हैं कि कोर्ट ने इन दोषियों को किस आधार पर जमानत दी है।
अपील
याचिका में क्या कहा गया था?
गुजरात के गोधरा कांड में जेल में बंद सजायाफ्ता कैदियों की ओर से ईद को देखते हुए उनके वकील संजय हेगड़े की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक जमानत याचिका दायर की गई थी।
इस याचिका में कहा गया था इस सभी दो निचली कोर्ट और हाई कोर्ट से उम्रकैद की सजा मिली है और इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर हैं, जिन पर लंबे समय से सुनवाई लंबित है और सभी दोषी कई सालों से जेल में बंद है।
जमानत
दोषियों को किस आधार पर मिली जमानत?
याचिका को CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा बेंच ने कहा कि सभी उम्रकैद दोषी लंबा समय जेल में बिता चुके हैं। इसी आधार कोर्ट द्वारा सभी को जमानत दी जा सकती है।
दरअसल, कोर्ट में वकील हेगड़े ने तर्क दिया था कि दोषियों की याचिकाओं पर सुनवाई में देरी हो रही है। ये सभी उम्रकैद के दोषी 17 से 18 साल की सजा काट चुके हैं, जबकि इनकी भूमिका पथराव तक ही सीमित थी।
बरी
नरौदा गाम नरसंहार से सभी आरोपी बरी
इससे पहले गुरुवार को अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने 2002 गुजरात दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों की हत्या से संबंधित नरौदा गाम नरसंहार में सभी 68 आरोपियों को बरी कर दिया था।
इस मामले में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत कुल 86 आरोपी थे, लेकिन 18 आरोपियों की इस मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।
कांड
क्या है गोधरा कांड?
27 फरवरी, 2002 को गोधरा में कारसेवकों से भरी ट्रेन की बोगी में आग लगा दी थी, जिसमें 54 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुजरात के कई इलाकों में दंगे भड़क गए थे।
इस मामले में कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने 8 आरोपियों को आजीवन कारावास और 4 को सजा-ए-मौत की सुनाई गई थी। इसके बाद से ही ये सभी आरोपी जेल में बंद हैं।