भारतीय मछुआरों को मारने वाले नौसैनिकों पर मुकदमा चलाएगा इटली- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इटली की सरकार अपने दो नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमा चलाएगी, जिन्होंने 2012 में दो भारतीय मछुआरों की हत्या की थी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि मुआवजे के तौर पर मिले 10 करोड़ रुपये के वितरण को लेकर भी आदेश देगा। गौरतलब है कि इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को बंद करने की मांग की थी, जिस
कहां से शुरू होता है पूरा मामला?
फरवरी, 2012 में सिंगापुर से इजिप्ट जा रहे एक कारोबारी जहाज 'एनरिका लेक्सी' पर तैनात इटनी की नौसेना के दो जवानों ने भारतीय मछुआरों की एक नाव 'सेंट एंटनी' पर गोली चलाई थी। इस गोलीबारी में केरल के रहने वाले दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इतालवी नौसैनिकों मैसिमिलिआनो लातोरे और साल्वातोर जिरोने पर गोली चलाने का आरोप तय हुआ। दोनों ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने मछुआरों को समुद्री डकैत समझकर गोली चलाई थी।
इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल से आया फैसला
लंबे विवाद और कई दौर की सुनवाई के बाद 2015 में इटली यह मामला इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ सी में लेकर चला गया। इसी साल आए फैसले में ट्रिब्यूनल ने माना कि इटली ने भारत के नेविगेशन क्षेत्र का उल्लंघन किया है। फैसले में कहा गया कि इटली की नौसेना की ड्यूटी पर होने के कारण भारतीय अदालतें उन पर मामला नहीं चला सकती, लेकिन इटली को इस मामले में जुर्माना देना पड़ेगा।
कोर्ट में जमा कराया गया हर्जाना- मेहता
केंद्र की तरफ से कहा गया था कि भारत और केरल सरकार ने ट्रिब्यूनल का फैसला मान लिया है और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में सुनवाई बंद देनी चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार ने इटली से हर्जाना देने को कहा था। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार को इटली की तरफ से 10 रुपये मिल चुके हैं और यह राशि कोर्ट में जमा करवा दी गई है।
दोनों देशों की सहमति के बाद तय हुआ है मुआवजा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुआवजे की यह राशि भारत और इटली के बीच आपसी सहमति के बाद तय हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोनों मृतकों के परिवारों को चार-चार करोड़ रुपये और दो करोड़ रुपये उस नाव के मालिक को दिये जाएं, जिसमें ये मछुआरे सवार थे। कोर्ट इस मुआवजे के वितरण में केरल हाई कोर्ट या जिला अदालत की मदद लेने पर विचार कर रहा है। इस बारे में अंतिम फैसला मंगलवार को आएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कही थी मुआवजा मिलने पर केस बंद करने की बात
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कहा कि कोर्ट की दखल से पहले पीड़ितों के पास कुछ नहीं था। घटना के बाद राज्य में बहुत आक्रोश था, लेकिन अब वे संतुष्ट हैं। केंद्र की मामला बंद करने की मांग पर पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक मुआवजे की राशि उसके पास नहीं आ जाती, तब तक यह मामला बंद नहीं होगा। अब 15 जून को इस पर अंतिम फैसला आएगा।