26 सप्ताह के गर्भपात को लेकर सुप्रीम कोर्ट का विभाजित फैसला, अब बड़ी पीठ करेगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने आज (11 अक्टूबर) को एक शादीशुदा महिला के गर्भपात को लेकर विभाजित फैसला सुनाया। 2 जजों की पीठ में से एक ने गर्भपात के लिए सहमति तो दूसरे ने असहमति जताई, जिसके बाद मामला बड़ी पीठ को भेज दिया गया है। दरअसल, इस शादीशुदा महिला का 26 हफ्ते का गर्भ है। महिला ने खुद की आर्थिक और मानसिक स्थिति ठीक न होने का हवाला देकर कोर्ट से गर्भपात की इजाजत मांगी है।
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ कर रही थी। फैसला सुनाते हुए जस्टिस कोहली ने कहा कि उनकी न्यायिक अंतरात्मा उन्हें भ्रूण को गिराने की अनुमति नहीं देती है। दूसरी ओर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि महिला के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। विभाजित फैसला आने पर मामला मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के पास भेज दिया है, जो मामले में बड़ी पीठ का निर्माण करेंगे।
पहले सुप्रीम कोर्ट ने दे दी थी गर्भपात की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्टूबर को महिला को गर्भपात की अनुमति दे दी थी। महिला ने दलील दी थी कि उसके पहले से 2 बच्चे हैं और वो तीसरे की परवरिश करने के लिए आर्थिक और मानसिक तौर पर तैयार नहीं है। कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति देते हुए कहा था, "हम मानते हैं कि अपने शरीर पर महिला का अधिकार है। अगर अनचाहे गर्भधारण से बच्चा इस दुनिया में आएगा तो उसके लालन-पालन की जिम्मेदारी महिला पर ही आएगी।"
एक दिन बाद कोर्ट ने गर्भपात पर लगाई रोक
10 अक्टूबर को केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने CJI चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष बताया कि 9 अक्टूबर वाला फैसला महिला की मेडिकल रिपोर्ट के विपरीत है। भाटी ने कहा कि भ्रूण इतना विकसित हो गया है कि वो जिंदा बच सकता है और अगर गर्भपात किया गया तो वो भ्रूण हत्या होगी। इसके बाद पीठ ने गर्भपात पर रोक लगाते हुए AIIMS से रुकने को कहा था।
भारत में गर्भपात को लेकर क्या नियम हैं?
गर्भपात को लेकर भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) कानून, 1971 है। इस कानून में 2020 में कुछ संशोधन किए गए हैं। इसके तहत अधिकतम 24 हफ्ते के भ्रूभ के गर्भपात की इजाजत है। हालांकि, मेडिकल बोर्ड की सिफारिश, रेप पीड़िता और बाकी कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है। संशोधन से पहले ये अवधि 20 हफ्ते तक थी।