
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़ी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने RTI खारिज की
क्या है खबर?
न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में मिली बेहिसाब नकदी के मामले में हुई आंतरिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने दी है।
दरअसल, न्यायमूर्ति वर्मा की जांच रिपोर्ट के साथ-साथ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सौंपी गई रिपोर्ट की प्रति सूचना के अधिकार (RTI) कानून के तहत 9 मई को मांगी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CPIO) ने खारिज करते हुए उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया है।
मामला
कोर्ट ने क्यों जानकारी देने से इंकार किया?
CPIO का कहना है कि यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के सुभाष चंद्र अग्रवाल बनाम भारत के मुख्य सूचना अधिकारी (2019) के निर्णय में निर्धारित मापदंडों के अनुरूप साझा नहीं की जा सकती है।
CPIO और सुप्रीम कोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने RTI की संबंधित धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह जानकारी तभी दी जा सकती है, जब सक्षम प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट हो कि यह सार्वजनिक हित में है।
विवाद
क्या है न्यायमूर्ति वर्मा का मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा शहर में नहीं थे।
उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी।
इसकी जानकारी तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया।
इसके बाद जांच समिति गठित हुई थी।
रिपोर्ट
समिति सौंप चुकी है अपनी रिपोर्ट
न्यायमूर्ति वर्मा मामले की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय आंतरिक समिति पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे।
समिति ने 4 मई को अपनी रिपोर्ट तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को सौंप दी थी। रिपोर्ट में समिति ने उनको दोषी ठहराया और कई आरोप लगाए हैं।
अब रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास विचाराधीन है।
जानकारी
FIR से भी इंकार कर चुकी है सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR की मांग करने वाली कई वकीलों की याचिका भी खारिज कर दी थी। कोर्ट का कहना था कि CJI ने रिपोर्ट और न्यायमूर्ति वर्मा का जवाब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया है।