सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस मौखिक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे की अनुमति देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला 9 जनवरी को सूचीबद्ध है और उसी दिन सभी मुद्दों और विवादों पर विचार किया जाएगा। उसने कहा कि हाई कोर्ट के इस बीच हानिकारक आदेश देने पर मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट आ सकता है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को हिंदू पक्ष का अनुरोध स्वीकार करते हुए मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता आयोग द्वारा सर्वे की अनुमति दे दी थी। इस आयोग में कौन-कौन होगा और ये कैसे मस्जिद का सर्वे करेगा, इस पर 18 दिसंबर को फैसला आएगा। इस आदेश को मस्जिद इंतजामिया समिति और सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शुक्रवार को इसी पर सुनवाई हुई।
हिंदू पक्ष ने क्यों की सर्वे की मांग?
हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर की भूमि पर बनी हुई है और मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई थी। उनके अनुसार, मस्जिद के एक हिंदू मंदिर पर बने होने के सबूत मिले हैं, जिनमें कमल के आकार का स्तंभ और भगवान कृष्ण से जुड़े शेषनाग की छवि शामिल है। उन्होंने इसी कारण मस्जिद का सर्वे कराने की मांग की है। उनके अनुसार, शाही मस्जिद समेत पूरी विवादित भूमि श्रीकृष्ण विराजमान की है।
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। 12 अक्टूबर, 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया। समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों बनने की बात हुई। इसके तहत श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह के पास है। अब हिंदू पक्ष ने मस्जिद की 2.5 एकड़ जमीन पर भी दावा किया है।
1968 में क्या समझौता हुआ था?
कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार, 1968 से पहले परिसर का ज्यादा विस्तार नहीं था और 13.77 एकड़ भूमि पर कई धर्मों के लोग बसे थे। समझौते के तहत जमीन पर बसे मुस्लिमों को जगह छोड़ने को कहा गया और मस्जिद और मंदिर को एक साथ संचालित करने के लिए सीमाएं खींची गईं। यह भी सुनिश्चित किया कि मस्जिद में मंदिर की ओर कोई खिड़की, दरवाजा या खुला नाला नहीं होगा। मंदिर और मस्जिद के बीच एक दीवार भी बनाई गई।
न्यूजबाइट्स प्लस
हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने 1669-70 में भगवान कृष्ण के जन्म मंदिर को ध्वस्त कर जमीन पर ईदगाह मस्जिद बनवाई थी। 100 साल बाद मराठों ने गोवर्धन की लड़ाई जीत ली और मस्जिद को हटाकर भगवान श्रीकृष्ण मंदिर का जीर्णोद्धार किया। इसके बाद अंग्रेजों और राजापाटनी मल से होते हुई ये जमीन पंडित मदन मोहन मालवीय और गोस्वामी गणेश दत्त के पास पहुंची। उन्होंने 1951 में एक ट्रस्ट बनाया, जिसने 1968 में मस्जिद समिति से समझौता किया।