श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे की अनुमति दी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के एक अधिवक्ता आयोग द्वारा सर्वे की अनुमति दे दी। लॉ ट्रेंड के मुताबिक, न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने श्रीकृष्ण विराजमान और 7 अन्य लोगों द्वारा दायर अनुरोध पर ये फैसला सुनाया। ये अनुरोध हाई कोर्ट में लंबित एक मूल मुकदमे का हिस्सा है, जिसमें श्रीकृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे होने का दावा किया गया है।
18 दिसंबर को होगा आयोग के स्वरूप का फैसला
सर्वे करने वाले आयोग में कितने लोग और कौन-कौन शामिल होगा और सर्वे किस तरीके से किया जाएगा, हाई कोर्ट इस पर 18 दिसंबर को फैसला सुनाएगा। जनसत्ता के मुताबिक, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि याचिका में 3 अधिवक्ताओं के आयोग की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता द्वारा अधिवक्ता आयुक्त की मांग को पिछले साल दिसंबर में मथुरा कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट में आपत्ति दायर की थी। मुस्लिम पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
क्यों की है सर्वे की मांग?
हिंदू पक्ष ने याचिका में कहा कि मस्जिद के एक हिंदू मंदिर पर बने होने के सबूत मिले हैं, जिनमें कमल के आकार का स्तंभ और भगवान कृष्ण से जुड़े शेषनाग की छवि शामिल है। इसी के परिणामस्वरूप आवेदन में सर्वे को जरूरी बताया गया था। याचिका में कहा गया है कि शाही मस्जिद समेत विवादित भूमि श्रीकृष्ण विराजमान की है। इसमें कोर्ट से मस्जिद को हटाने के लिए वक्फ बोर्ड समेत अन्य प्रतिवादियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
क्या है पूरा विवाद?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। 12 अक्टूबर, 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया। समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों बनने की बात हुई। इसके तहत श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह के पास है। अब हिंदू पक्ष ने मस्जिद की 2.5 एकड़ जमीन पर भी दावा किया है।