सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली अध्यादेश मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सेवाओं पर अधिकार से संबंधित अध्यादेश के मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ के पास भेजा दिया है। गुरुवार को केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह निर्णय लिया। इससे अलावा सुप्रीम कोर्ट में उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) अध्यक्ष नामित किये जाने को लेकर दायर एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई हुई।
कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र के अध्यादेश मामले को संवैधानिक पीठ को भेज जाने पर कहा कि इस संबंध में शाम को आदेश की कॉपी जारी की जाएगी, जिसमें सभी जरूरी जानकारी होंगी। बता दें कि दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि अध्यादेश दिल्ली में कार्यरत अधिकारियों का नियंत्रण दिल्ली की निर्वाचित सरकार से छीनकर अनिर्वाचित उपराज्यपाल को दे देता है।
DERC मामले की 4 अगस्त को होगी सुनवाई
CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने DERC अध्यक्ष से संबंधित याचिका पर भी सुनवाई की। बेंच ने कहा कि वह याचिका पर अंतिम फैसला होने तक DERC का कोई अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है और इसके लिए हाई कोर्ट के किसी पूर्व जज को चुना जा सकता है। मामले पर 4 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा। उपराज्यपाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि दिल्ली सरकार के लिए नामों की सूची भेजना अनुचित होगा।
दिल्ली सरकार के वकील ने क्या कहा?
कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर उपराज्यपाल कोई सूची भेजते हैं तो इससे लगेगा कि बेंच ने इस दलील को बल दिया है। सिंघवी ने मामला संवैधानिक पीठ को भेजे जाने के खिलाफ तर्क दिया कि याचिका पर सुनवाई 3 जजों की बेंच कर सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के आदेशों को नौकरशाह नहीं मान रहे हैं और राज्यपाल अध्यादेश के कारण 400 से अधिक सलाहकारों को बर्खास्त कर चुके हैं।
अटॉर्नी जनरल ने क्या कहा?
कोर्ट में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि कोई भी संवैधानिक पीठ से जुड़ा निर्णय बेंच पर निर्भर है। सभी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट की बेंच ने कहा कि वह केंद्र के अध्यादेश की वैधता से संबंधित मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजेगी। कोर्ट ने अगस्त के पहले हफ्ते में अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण के खिलाफ होने वाली सुनवाई से पहले इस मामले की सुनवाई करने के दिल्ली सरकार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
क्या है अध्यादेश का मामला?
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए थे। इसके बाद 19 मई को केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश जारी किया। इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर कर दिया गया और नौकरशाहों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर अंतिम फैसले का अधिकार फिर से उपराज्यपाल को दे दिया गया। केजरीवाल सरकार ने फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है।