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    जेलों में बंद अपराधियों में युवाओं की तादाद ज्यादा, 54 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल
    देश की जेलों में बंद कुल कैदी और बंदियों में से 54.09 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल के बीच है।

    जेलों में बंद अपराधियों में युवाओं की तादाद ज्यादा, 54 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल

    लेखन भारत शर्मा
    Jul 08, 2021
    11:22 am

    क्या है खबर?

    किसी भी युवा का सबसे बड़ा सपना बेहतर शिक्षा, रोजगार और प्रतिष्ठा पाने का होता है, लेकिन जब उसका यह सपना पूरा नहीं होता या अन्य कारणों से वह रास्ता भटककर सबसे पहले अपराधों के दलदल में फंस जाता है।

    यही कारण है कि वर्तमान में देश की जेलों में बंद कैदी और विचाराधीन बंदियों में से 54 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल के बीच है।

    राष्ट्रीय कारागार सूचना पोर्टल (NPIP) पर उपलब्ध डाटा में यह खुलासा हुआ है।

    स्थिति

    यह है देश की जेलों में बंद कैदी और बंदियों की स्थिति

    NPIP पर उपलब्ध डाटा के अनुसार, 5 जुलाई तक देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संचालित 1,350 जेलों में कैदियों और विचाराधी बंदियों की कुल संख्या 5,21,311 थी।

    इनमें से 54.09 प्रतिशत यानी 2,81,995 कैदी/बंदियों की उम्र 18-30 साल के बीच है।

    सबसे बड़ी बात यह है कि 8.97 प्रतिशत यानी 46,784 कैदी/बंदियों की उम्र 18-20 साल तथा 45.11 प्रतिशत यानी 2,35,211 की उम्र 20-30 साल के बीच है।

    जानकारी

    दो लाख से अधिक है 30 साल से अधिक उम्र के कैदियों की संख्या

    देश की जेलों में वर्तमान में बंद कुल कैदी/बंदियों में से 45.90 प्रतिशत यानी 2,39,316 की उम्र 30 साल से अधिक है। सबसे बड़ी बात यह है कि देश में जेलों में 15 प्रतिशत से अधिक कैदियों की उम्र 50 साल से अधिक है।

    सबसे ज्यादा

    उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद है सबसे अधिक युवा

    देश में सबसे ज्यादा युवा उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद हैं। यहां की जेलों में कुल 1,16,330 कैदी/बंदी बंद है।

    इनमें 54 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल के बीच है। इनमें 18-20 साल के 15,221 और 20-30 साल के 48,392 कैदी/बंदी है।

    इसी तरह बिहार की जेलों में कुल 60,929 कैदी/बंदी बंद है। इनमें 60.39 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल के बीच है।

    इनमें 18-20 साल के 8,046 और 20-30 साल के 28,754 कैदी/बंदी है।

    विवरण

    मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में भी खराब है स्थिति

    मध्य प्रदेश की जेलों में कुल 42,884 कैदी/बंदी बंद है। इनमें 57.66 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल के बीच है। इनमें 18-20 साल के 3,451 और 20-30 साल के 21,279 कैदी/बंदी है।

    हरियाणा की जेलों में कुल 25,253 कैदी/बंदी बंद है। इनमें 65.09 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल के बीच है। इनमें 18-20 साल के 1,981 और 20-30 साल के 14,457 कैदी/बंदी है।

    इसके अलावा पंजाब के जेलों में बंद 25,150 कैदी/बंदियों में 52.62 प्रतिशत की उम्र 18-30 साल है।

    अन्य

    अन्य प्रमुख राज्यों की यह है स्थिति

    इसी तरह राजस्थान की जेलों में बंद कुल 22,348 कैदी/बंदियों में से 1,733 की उम्र 18-20 साल के बीच और 11,603 की उम्र 20-30 साल है।

    पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद कुल 24,431 कैदी/बंदियों में से 1,681 की उम्र 18-20 और 10,907 की उम्र 20-30 साल है।

    इसी तरह असम की जेलों में बंद कुल 22,255 कैदी/बंदियों में से 1,823 की उम्र 18-20 और 10,951 की उम्र 20-30 साल के बीच है।

    जानकारी

    ओडिशा और झारखंड की भी स्थिति खराब

    ओडिशा में बंद कुल 22,082 कैदी/बंदियों में से 1,495 की उम्र 18-20 और 10,861 की उम्र 20-30 साल है। झारखंड में बंद कुल 22,067 कैदी/बंदियों में से 2,043 की उम्र 18-20 साल और 10,730 की उम्र 20-30 साल के बीच है।

    सबसे कम

    महाराष्ट्र की जेलों में बंद है सबसे कम युवा

    महाराष्ट्र के जेलों में बंद युवाओं की संख्या सबसे कम है। यहां की जेलों में कुल 15,070 कैदी/बंदियों में 18-20 साल का एक भी अपराधी नहीं है।

    इसी तरह 20-30 साल के युवाओं की संख्या भी महज 18 है। इसके उलट यहां 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों की संख्या 14,921 है।

    इसी तरह लक्षद्वीप में 18-30 साल के कैदियों की संख्या दो, लद्दाख में छह, दादर नगर हवेली में 48 और दमन और दीव में 63 है।

    अन्य

    अन्य राज्यों में यह है स्थिति

    अंडमान की जेलों में बंद कैदी और बंदियों में से 18-30 साल के युवाओं की कुल संख्या 65, सिक्किम में 142, नागालैंड में 335, अरुणाचल प्रदेश में 296, गोवा में 322, त्रिपुरा में 472, चंडीगढ़ में 597, मेघायल 638 और पुडुचेरी की जेलों में 18-30 साल के युवाओं 1,142 है।

    हालांकि, इन राज्यों की जेलों में बंद कुल कैदियों और बंदियों की संख्या के आधार पर देखा जो यह आंकाड़ा 19 से 50 प्रतिशत के बीच रहता है।

    दिल्ली

    राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह है स्थिति

    राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जेलों में वर्तमान में कुल 16,348 कैदी और बंदी सजा काट रहे हैं। इनमें से 65.32 प्रतिशत कैदी और बंदियों की उम्र 18-30 साल के बीच है।

    इनमें से 18-20 साल के कैदी और बंदियों की संख्या 872 हैं तथा 20-30 साल के कैदी और बंदियों की संख्या 9,808 है।

    इसी तरह तमिलनाडु की जेलों में कैदी और बंदियों की संख्या 15,019 है। इनमें से 46.96 प्रतिशत यानी 7,087 की उम्र 18-30 साल के बीच है।

    इजाफा

    डेढ़ साल में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ी युवा अपराधियों की संख्या

    देश की जेलों कैदिया और बंदियों में युवाओं की संख्या में डेढ साल में 10.69 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 31 दिसंबर, 2019 तक देश की जेलों में कुल 4,78,600 कैदी और बंदी बंद थे।

    इनमें से 43.40 प्रतिशत यानी 2,07,942 कैदियों की उम्र 18-30 के बीच थी, लेकिन बीते डेढ़ सालों में जेलों में कैदी और बंदियों की संख्या 42,711 के इजाफे के साथ 5,21,311 पर पहुंच गई।

    इसी तरह युवा अपराधियों की संख्या भी 2,81,995 पर पहुंच गई।

    कारण

    क्या है युवाओं के अपराधों की ओर बढ़ने का कारण?

    जयुपर के वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ और थानवी न्यूरोसाइकियाट्री एंड साइकोथेरेपी सेंटर के संचालक डॉ विकास थानवी ने न्यूजबाइट्स हिंदी को बताया कि भारत एक युवा आबादी वाला देश है। ऐसे में युवा आबादी की संख्या अधिक होने के कारण सरकारी की नौकरियों और रोजगार की कमी रहती है।

    उन्होंने कहा कि अच्छी पढ़ाई के बाद भी कई बार युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाती और वह अवसाद में चले जाते हैं। इसके कारण वह अपराध की रुख कर लेते हैं।

    अन्य कारण

    सोशल मीडिया और फोन भी है बड़ा कारण- डॉ थानवी

    डॉ थानवी ने कहा कि मोबाइल फोन का बढ़ता उपयोग और सोशल मीडिया पर चलने वाले हिंसात्मक और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े मैसेज भी युवाओं को अपराधों की ओर खींच रहे हैं।

    इसी तरह आज का युवा सबकुछ जल्दी हासिल करना चाहता है। ऐसे में समय पर रोजगार नहीं मिलने पर उसे अपराध ही पैसा कमाने का सबसे आसान तरीका लगता है।

    इसके अलावा युवाओं की आपराधिक प्रवृति से जुड़े दोस्त भी उन्हें अपराध की ओर खींच ले जाते हैं।

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