
सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना स्थित हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर में कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर अंतरिम रोक लगा दी है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और एजी मसीह की खंडपीठ ने वन मामलों के एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील के परमेश्वर द्वारा मौखिक रूप से मामला उठाए जाने के बाद यह आदेश दिया।
कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को मौका मुआयना करने को कहा है।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर तक मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक रजिस्ट्रार को घटनास्थल का दौरा कर गुरुवार दोपहर 3:30 बजे तक अंतरिम रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
साथ ही राज्य के मुख्य सचिव को कहा है कि कोर्ट के अगले आदेश तक वनों की कटाई न की जाए। कोर्ट मामले में दोपहर 3:45 बजे फिर से सुनवाई करेगा।
इससे पहले बुधवार को तेलंगाना हाई कोर्ट ने गुरुवार तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
फटकार
लंबी छुट्टियां देखते ही पेड़ काटने दौड़ पड़े- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "अखबारों से पता चला कि कांचा गाचीबोवली जंगल में वनों की कटाई बड़े पैमनाने पर की जा रही है, जिससे पता चलता है कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है। सप्ताहांत में लंबी छुट्टियों का फायदा उठाते हुए अधिकारी पेड़ों को काटने के लिए दौड़ पड़े।"
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि उस वन क्षेत्र में 8 प्रकार के अनुसूचित जानवर भी रहते हैं।
बयान
राज्य ने कहा, केवल झाड़ियां हटा रहे हैं
तेलंगाना सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तेलंगाना के महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया है कि अंतरिम अवधि में कोई कार्रवाई नहीं होगी।
उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि वहां कोई जंगल नहीं है।
इस पर कोर्ट ने पूछा, "क्या आप पेड़ नहीं हटा रहे हैं?" इस पर राज्य के वकील बोले, "केवल झाड़ियां ही हटाई जा रही हैं।"
बता दें, तेलंगाना सरकार के खिलाफ छात्र और वात फाउंडेशन हाई कोर्ट पहुंचे थे।
विवाद
क्या है तेलंगाना में वन कटाई का मामला?
तेलंगाना सरकार हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास गाचीबोवली में 400 एकड़ भूमि पर निजी सहयोग से एक IT पार्क का निर्माण और अन्य विकास कार्य कराना चाहती है।
इसके लिए तेलंगाना औद्योगिक अवसंरचना निगम (TGIIC) ने निविदा निकालकर किसी निजी कंपनी को कार्य की जिम्मेदारी सौंपी है।
रविवार को कंपनी ने पुलिस की मौजूदगी में जमीन पर बुलडोजर चलाया, लेकिन छात्रों ने पर्यावरण नुकसान का हवाला देकर कार्य रोक दिया।
इसको लेकर पुलिस-छात्रों की झड़प हुई और मामला हाई कोर्ट पहुंचा।
स्थिति
सरकार ने स्थिति स्पष्ट की
तेलंगाना सरकार ने कोर्ट में कहा कि जमीन मूल रूप से 2004 में खेल सुविधाओं के विकास के लिए IMG अकादमी भारत प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी।
जब कंपनी ने इसका इस्तेमाल नहीं किया तो सरकार ने 2006 में वापस ले लिया और TGIIC को सौंपा।
सरकार का कहना है कि यह भूमि वन क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत नहीं और न ही हैदराबाद विश्वविद्यालय की है। आसपास विश्वविद्यालय की जमीन पर पहले से ऊंची इमारत और हेलीपैड है।