सुप्रीम कोर्ट से लॉटरी वितरकों को मिली राहत, कहा- केंद्र सरकार सेवा कर नहीं लगा सकती
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जैसी लॉटरी फर्मों को राहत देते हुए फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा कि लॉटरी वितरकों को लॉटरी आयोजित करने के लिए सेवा कर का भुगतान नहीं करना होगा।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सिक्किम हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें लॉटरी के आयोजन-प्रचार जैसी गतिविधियों पर सेवा कर लगाने वाले 2010 के कानून को रद्द किया गया था।
आदेश
सिर्फ राज्य सरकारों को कर लगाने का हक- कोर्ट
पीठ ने केंद्र की अपीलों को खारिज कर कहा कि लॉटरी 'सट्टेबाजी और जुआ' के अंतर्गत आती है, जिस पर भारतीय संविधान के तहत केवल राज्य सरकारों को कर लगाने का अधिकार प्राप्त है।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि कोई एजेंसी न होने के कारण प्रतिवादी-करदाताओं द्वारा सिक्किम सरकार को एजेंट के रूप में कोई सेवा प्रदान नहीं की जाती है, इसलिए लॉटरी टिकट खरीदने वालों और सिक्किम सरकार के बीच हुए लेन-देन पर सेवा कर नहीं लगाया जा सकता।
विवाद
क्या है विवाद?
सिक्किम में ऑनलाइन लॉटरी टिकट और पेपर बेचने का काम करने वाली निजी कंपनियों ने सिक्किम हाई कोर्ट में वित्त अधिनियम, 2010 की धारा 65(105) के खंड (zzzzn) को इस आधार पर चुनौती दी कि उनके द्वारा की गई गतिविधि "कर योग्य सेवा" के दायरे में नहीं आती।
तब हाई कोर्ट ने धारा को संविधान के विरुद्ध बताते हुए रद्द कर दिया और याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया।
केंद्र ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी।