सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गांवों को लेकर आंध्र और ओडिशा का विवाद, 19 फरवरी को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ओडिशा सरकार की याचिका पर आंध्र प्रदेश को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में ओडिशा के तीन गांवों में पंचायत चुनावों की नोटिफिकेशन जारी करने के लिए आंध्र प्रदेश के अधिकारियों पर अदालत की अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई थी। ओडिशा सरकार ने इस याचिका में कहा कि आंध्र प्रदेश की तरफ से जारी यह नोटिफिकेशन उसके क्षेत्र पर 'आक्रमण' करने के बराबर है। आइये, यह खबर विस्तार से जानते हैं।
ओडिशा ने की आंध्र के अधिकारियों को सजा देने की मांग
मामले की जल्द सुनवाई की अपील करते हुए नवीन पटनायक सरकार ने कहा कि आंध्र प्रदेश के अधिकारी 'जान-बूझकर' सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। याचिका में इन अधिकारियों को अदालत की अवमानना करने के कारण सजा देने की भी मांग की गई थी। दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश का कहना है कि इन गांवों में पहले से ही चुनाव होते आए हैं।
आंध्र प्रदेश के जिले में बनाए गए नामांकन केंद्र- ओडिशा
ओडिशा ने कहा कि ये तीनों गांव उसके कोरापुट जिले की कोटिया पंचायत में पड़ते हैं। तीन ग्राम पंचायतों में से दो के सरपंच समेत पंचायत के सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है। तीसरे गांव की पंचायत का चुनाव बाकी है, जिस पर रोक लगनी चाहिए। याचिका में कहा गया कि चुनावों को गोपनीय रखने के लिए नामांकन केंद्र गांव से 20 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में बनाए गए।
आंध्र पर ओडिशा के गांवों के नाम बदलने के आरोप
ओडिशा का आरोप है कि आंध्र प्रदेश ने पिछले साल मार्च में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी की थी। इसी दौरान सलूर मंडल में ओडिशा के तीन गांवों को शामिल कर लिया गया। आंध्र ने चालाकी दिखाते हुए इन गांवों के नाम गंजायपडार से गंजायबाडरा, फट्टूसेनरी से पत्तूचेनुरू और फागूसेनरी से बदलकर फागुलूसेनरी कर दिया, जबकि ये गांव ओडिशा के तहत आते हैं। यहां के लोगों को ओडिशा सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है।
19 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
इस पर मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एएम खनविलकर और अनिरूद्ध बोस की बेंच ने कहा कि वो शुक्रवार को कोई फैसला नहीं देगी और आंध्र प्रदेश के जवाब का इंतजार करेगी। मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
दशकों पुराना है विवाद
कोटिया पंचायत के तहत 21 गांव आते हैं। ओडिशा और आंध्र प्रदेश दोनों ही राज्य इन पर अधिकार जताते आए हैं, जिसे लेकर इनके बीच दशकों से विवाद चल रहा है। इन गांवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2 दिसंबर, 1968 को दोनों राज्यों को मामले के निस्तारण तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि दोनों पक्षों की तरफ से विवादित इलाके में आगे कोई अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।