
पेगासस जासूसी कांड: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही तो गंभीर है मामला
क्या है खबर?
पेगासस जासूसी कांड से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो आरोप गंभीर हैं। मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, "सच सामने आना चाहिए। हमें नहीं पता इसमें किसके नाम शामिल हैं।"
कोर्ट मामले में अगली सुनवाई मंगलवा को करेगा। केंद्र सरकार को इस सुनवाई में पेश रहने को कहा गया है।
सुनवाई
2019 में भी आई थीं जासूसी की खबरें- CJI रमन्ना
सुनवाई के दौरान CJI रमन्ना ने कहा, "2019 में भी जासूसी की खबरें आई थीं। मुझे नहीं पता तब और जानकारी निकालने के प्रयास किए गए थे या नहीं। मैं मामलों के तथ्यों में नहीं जा रहा हूं, कुछ लोगों ने दावा किया था कि फोन इंटरसेप्ट किए गए। इन मामलों में शिकायत के लिए IT अधिनियम और टेलीग्राफ अधिनियम है।"
कोर्ट ने सभी याचिकर्ताओं से अपनी याचिका सरकार को सौंपने को कहा है।
याचिकाएं
इन लोगों ने दायर की है सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार, माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) सांसद जॉन ब्रिटस और वकील एमएल शर्मा आदि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में लगे आरोपों की जांच कराने की मांग की है।
इसके अलावा पत्रकारों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी दो दिन पहले मामले में याचिका दायर की है।
इन याचिकाओं में किसी मौजूदा या पूर्व जज की अध्यक्षता में SIT जांच की मांग की गई है।
दलीलें
कपिल सिब्बल बोले- ये प्राइवेसी, मानव गरिमा और गणराज्य के मूल्यों पर हमला
आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "पेगासस एक दुष्ट तकनीक है जो हमारी जानकारी के बिना जीवन में घुसपैठ करती है। इसके हमारे जीवन में घुसने के लिए बस एक फोन चाहिए होता है। फिर ये हमें सुनती है, देखती है, हमारी हर एक गतिविधि का सर्वे करती है। ये प्राइवेसी, मानव गरिमा और हमारे गणराज्य के मूल्यों पर हमला है।"
उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट क्यों किया।
पृष्ठभूमि
क्या है पेगासस जासूसी कांड?
पिछले महीने सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई देशों के पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चर्चित हस्तियों की फोन के जरिये जासूसी की गई या इसकी कोशिश की गई।
इन लोगों में राहुल गांधी और प्रशांत किशोर समेत विपक्ष के कई नेता, मोदी सरकार के दो मंत्री, कई संवैधानिक अधिकारी और पत्रकार, अनिल अंबानी और CBI के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा समेत कई नाम शामिल थे।
हंगामा
सरकार पर हमलावर बना हुआ है विपक्ष
विपक्ष मामले पर जबरदस्त हंगामा कर रहा है और इसके कारण मानसून सत्र में एक भी दिन का काम नहीं हो पाया है।
विपक्ष चाहता है कि इस मुद्दे पर सदन में बहस हो और मामले में न्यायिक जांच की जाए। राहुल गांधी ने तो मामले में गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा भी मांगा है।
सरकार ने मामले पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है और वह इसे भारत को बदनाम करने की एक अंतरराष्ट्रीय साजिश बताती रही है।