मुश्किलों में घिरी जॉनसन एंड जॉनसन, भारत में होगी कंपनी के सभी उत्पादों की जांच
मशहूर कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन पर बेबी पाउडर में कैंसर पैदा करने वाले तत्व एस्बेस्टेस इस्तेमाल करने के आरोप लगे थे। इन आरोपों के बाद देश के ड्रग रेगुलेटर ने कंपनी द्वारा बच्चों के लिए बनाए जाने वाले सभी उत्पादों की जांच शुरू कर दी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने कंपनी के बद्दी और मुलुंड स्थित प्लांट को फॉर्म 15 जारी किया है। इसके तहत अगले आदेश तक कंपनी अगले आदेश तक टैल्कम पाउडर नहीं बना सकेगी।
देशभर से लिए जाएंगे उत्पादों के सैंपल
मिंट की खबर के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी के सभी उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाली सामग्री की जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर्स को देशभर से कंपनी के प्लांट और मार्केट से सैंपल इकट्ठे करने के आदेश दिए गए हैं। अगले 4-5 दिन में देशभर के 12-15 स्थानों से सैंपल लिए जाएंगे। बता दें कंपनी बच्चों के लिए शैंपू, लोशन, साबुन और तेल जैसे उत्पाद बनाती है।
कंपनी नहीं कर सकती पाउडर का उत्पादन
जांच में ड्रग इंस्पेक्टर्स ने पाया कि कंपनी कच्चे माल की टेस्टिंग करने में कानूनों का उल्लंघन कर रही है। एक अधिकारी ने बताया कि कच्चे माल की हर खेप को इस्तेमाल करने से पहले जांचना जरूरी है, लेकिन जॉनसन एंड जॉनसन ऐसा नहीं कर रही है। कंपनी के खिलाफ फॉर्म 15 जारी किया गया है जिसके तहत कंपनी अगले आदेश तक पाउडर बनाने के अपने कच्चे माल का स्टॉक नष्ट नहीं कर सकती।
विवादों में घिरी रही है जॉनसन एंड जॉनसन
जॉनसन एंड जॉनसन पिछले काफी समय से विवादों में रही है। कंपनी को अमेरिका में 22 महिलाओं को $470 करोड़ के भुगतान का आदेश दिया गया था। इन महिलाओं की शिकायत थी कि कंपनी के पाउडर में मौजूद एबेस्टेस की वजह से उन्हें गर्भाशय का कैंसर हो गया। इसके बाद भारत में कंपनी से पाउडर की कंपोजिशन के बारे में जानकारी मांगी गई थी। वहीं कंपनी का कहना है कि उसके उत्पाद सुरक्षित हैं और उनमें एबेस्टेस नहीं होता।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मचा हंगामा
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दावा किया था कंपनी को उसके उत्पादों में एस्बेस्टेस के बारे में लंबे समय से जानकारी थी। रॉयटर्स के मुताबिक, 1971 से 2000 तक जॉनसन बेबी पाउडर की जांच में एस्बेस्टस पाया गया था। इसके बावजूद कंपनी ने इस तथ्य को छिपाया। दूसरी तरफ कंपनी ने इस खबर को गलत और भड़काऊ बताया। कंपनी ने कहा कि एक लाख से ज्यादा लोगों पर रिसर्च की गई। इसमें किसी को भी कैंसर होने के प्रमाण नहीं मिले।