Page Loader
सुप्रीम कोर्ट ने अशोका विश्वविद्यालय प्रोफेसर की जांच गलत दिशा में मोड़ने पर SIT को फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान को राहत दी

सुप्रीम कोर्ट ने अशोका विश्वविद्यालय प्रोफेसर की जांच गलत दिशा में मोड़ने पर SIT को फटकारा

लेखन गजेंद्र
Jul 16, 2025
03:01 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सोशल मीडिया पर ऑनलाइन पोस्ट करने की इजाजत दे दी और मामले में जांच कर रही विशेष जांच दल (SIT) को फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि SIT का गठन प्रोफेसर महमूदाबाद की सोशल मीडिया पोस्ट की जांच के लिए किया गया था, अब वह इसे गलत दिशा में ले जाते हुए जांच का दायरा क्यों बढ़ा रही है।

शिकायत

याचिकाकर्ता की शिकायत के बाद कोर्ट ने जताई नाराजगी

लाइव लॉ के मुताबिक, कोर्ट ने SIT को फटकार याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल द्वारा शिकायत करने के बाद लगाई है। सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि SIT ने प्रोफेसर के उपकरणों को जब्त कर लिया है और उनकी पिछली 10 साल की विदेश यात्राओं के बारे में पूछा जा रहा है, जबकि कोर्ट ने मई के आदेश में SIT को अपनी जांच केवल सोशल मीडिया की पोस्ट पर सीमित रखने को कहा था।

जवाब

कोर्ट ने पूछा- क्यों गलत दिशा में जा रही SIT

इस पर कोर्ट ने पूछा, "हम पूछ रहे हैं कि SIT पहली नजर में ही गलत दिशा में क्यों जा रही है। उन्हें पोस्ट की विषय-वस्तु की जांच करनी थी कि क्या वे कोई अपराध हैं? याचिकाकर्ता के उपकरण क्यों जब्त किए जा रहे हैं।" तब राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि जांच कैसे होनी चाहिए, ये जांच अधिकारी का विशेषाधिकार है। सिब्बल ने कहा कि जांच घुमावदार नहीं होनी चाहिए।

आदेश

कोर्ट ने क्या दिए निर्देश?

कोर्ट ने SIT को सोशल मीडिया पोस्ट पर ध्यान केंद्रित करते हुए 4 हफ्ते में जांच पूरी करने को कहा है। कोर्ट ने प्रोफेसर को तलब करने की शिकायत पर अधिकारियों को फटकारते हुए कहा, "आपको प्रोफेसर की नहीं बल्कि शब्दकोश की जरूरत है।" साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता को कोई भी ऑनलाइन पोस्ट, लेख या अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार दिया है। हालांकि, वह विचाराधीन मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते। उनको गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा।

विवाद

क्या है मामला?

प्रोफेसर खान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की ब्रीफिंग के लिए कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका को भेजे जाने को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था कि अगर महिलाओं के प्रति यह बदलाव जमीनी स्तर पर नजर नहीं आता तो यह भारतीय सेना का पाखंड कहलाएगा। खान के बयान को महिला आयोग ने सैन्य कार्रवाइयों को बदनाम करने का प्रयास बताते हुए नोटिस भेजा। भाजपा की शिकायत पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।