#NewsBytesExplainer: नए संसद भवन के बारे में खास बातें और क्यों पड़ी इसकी जरूरत?
देश का नया संसद भवन बनकर तैयार हो गया है। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत इस नई संसद का निर्माण किया गया है। 18 मई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उन्हें नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए निमंत्रण दिया था। आइए जानते हैं कि नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी और इस इमारत में क्या सुविधाएं मौजूद हैं।
क्यों पड़ी नए संसद भवन की जरूरत?
नए संसद भवन का निर्माण 10 दिसंबर, 2020 को शुरू हुआ था और प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। संसद की पुरानी इमारत 1927 में बनी थी और ये तकरीबन 100 साल पुरानी हो चुकी है। नए संसद भवन का निर्माण आधुनिक जरूरतों को देखते हुए किया गया है। पुराने भवन में जगह और अन्य सुविधाओं का अभाव था। इसके अलावा 2026 में देश में सांसदों की संख्या भी बढ़नी है, इसलिए नई संसद जरूरी हो जाती है।
नए संसद भवन को बनाने में कितना खर्च आया?
नए संसद भवन के निर्माण में 970 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसे टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। नए संसद भवन की 4 मंजिला इमारत त्रिकोणीय आकार की है और इसमें 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है। पुराने संसद भवन के मुकाबले नए भवन में कई बदलाव किये गए हैं। संसद से जुड़े मार्शल और कर्मचारी भी यहां नई यूनिफॉर्म में नजर आएंगे।
नए संसद भवन में क्या है खास?
नए संसद भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान कक्ष बनाया गया है। इसके अलावा संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक लाइब्रेरी, एक कैंटीन, एक समिति कक्ष और पर्याप्त पार्किंग उपलब्ध है। संसद के नवनिर्मित भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। दोनों सदनों का संयुक्त सत्र लोकसभा चैंबर में ही आयोजित होगा, जो पहले सेंट्रल हॉल में होता था।
नए संसद भवन में 3 प्रमुख प्रवेश द्वार
नए संसद भवन में 3 प्रमुख प्रवेश द्वार बनाए गए हैं, जिनका नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार रखा गया है। भवन में सांसदों, VIP और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। नई संसद की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिन्ह भी बनाया गया है, जिसका पिछले साल जून में प्रधानमंभी मोदी ने अनावरण किया था। कांस्य से बना ये अशोक चिन्ह 6.5 मीटर लंबा है और इसका वजन 9,500 किलोग्राम के करीब है।
क्या है सेंट्रल विस्टा परियोजना?
नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है। इसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर की सड़क का नवीनीकरण और केंद्रीय सचिवालय, उपराष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री के नए कार्यालय और आवास समेत कई नई इमारतों का निर्माण शामिल है।
सरकार ने नई संसद को बताया आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
केंद्र सरकार ने कहा है कि नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। इस भवन के उद्घाटन के दो दिन बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार एक महीने तक देशभर में विशेष संपर्क अभियान का आयोजन करेगी। दरअसल, 2014 में प्रधानमंत्री मोदी केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए थे। उनकी सत्ता संभालने के 9 साल पूरे होने पर भाजपा देशभर में 50 से अधिक जनसभाए करेगी और ये अभियान 30 जून तक चलाया जाएगा
सेंट्रल विस्टा प्रधानमंत्री मोदी का व्यक्तिगत प्रोजेक्ट- कांग्रेस
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सेंट्रल विस्टा परियोजना को पूरा करके मोदी सरकार देश से सामने इसे एक उपलब्धि के रूप में पेश करना चाहती है, जबकि कांग्रेस इसे प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत प्रोजेक्ट करार दे चुकी है। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि संसद सिर्फ ईंट और सीमेंट की बनी दीवारें नहीं है, ये लोकतंत्र का मंदिर है। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष के माइक बंद कर दिये जाते हैं तो फिर इसकी जरूरत क्या है।