दिल्ली के अस्पताल में शवों की अदला-बदली, युवक ने दो बार किया पिता का अंतिम संस्कार
क्या है खबर?
कोरोना महामारी के दौर में राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में अव्यवस्था के चलते न केवल कोरोना मरीजों की जान जा रही है, बल्कि शवों की भी हेराफेरी हो रही है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में, जहां अस्पताल प्रशासन ने एक ही जैसे नाम के कारण एक युवक के भाई का शव किसी और को दे दिया। ऐसे में दूसरे युवक को दो बार अपने अपने पिता का अंतिम संस्कार करना पड़ा।
प्रकरण
अस्पताल प्रशासन ने पिता की जगह दिया किया अन्य का शव
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पटपड़गंज निवासी कलामुद्दीन के पिता मोइनुद्दीन (70) की गत 4 जून को लोक नायक अस्पताल में गुर्दे फेल हो जाने के कारण मौत हो गई थी।
अगले दिन जब वह शव लेने के लिए अस्पताल की मोर्चरी में गया तो उसे एक जैसा नाम होने के कारण किसी अन्य का शव दे दिया गया।
उसने उस शव को दफना दिया। कुछ देर बाद उसके पास गलत शव को दफनाने की सूचना मिली।
अंतिम संस्कार
दुबारा किया पिता का अंतिम संस्कार
रिपोर्ट के अनुसार कलामुद्दीन को जब यह पता चलता है कि उसने गलत शव को दफना दिया तो वह फिर से अस्पताल जाता है और अपने पिता का वास्तविक शव लाकर दुबारा से उसका अंतिम संस्कार (दफना) करता है।
दरअसल, उसने पहले जिस शव को दफनाया था, वह दिल्ली निवासी एजाजुद्दीन के बड़े भाई मोईनुद्दीन (50) का था। उसकी मौत भी 2 जून को लोक नायक अस्पताल में हाई ब्लडप्रेशर की वजह से हुई थी।
गलती
ऐसे हुई अस्पताल प्रशासन से गलती
रिपोर्ट के अनुसार एजाजुद्दीन के भाई की मौत होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने कोरोना जांच नहीं होने तक शव देने से मना कर दिया था।
5 जून को उसके भाई के कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने उसे शव लेने के लिए बुला लिया।
उस दौरान मुर्दाघर के कर्मचारियों ने उसे गलत शव दिखा दिया। उसे पता चला कि उसके भाई का शव गलती से कलामुद्दीन को दे दिया गया है।
जानकारी
एजाजुद्दीन से कलामुद्दीन से व्हॉट्सऐप पर मंगवाई फोटो
मामले का खुलासा होने के बाद एजाजुद्दीन ने कलामुद्दीन से संपर्क कर दफनाए गए शव की व्हॉट्सऐप पर फोटो मंगवाई। जिसे देखकर साफ हो गया कि कलामुद्दीन ने गलती से उसके भाई का अंतिम संस्कार कर दिया था। यह जानकर कलामुद्दीन भी चौंक गया।
गलतफहमी
चेहरे की सूजन के कारण कलामुद्दीन को हुई गलतफहमी
कलामुद्दीन की पत्नी ने कहा कि जो शव उनके पति ने देखा था, उसका चेहरा सूजा हुआ था और खून लगा था। जिसके चलते यह पता लगाना मुश्किल था कि वो उसके ससुर का ही शव था।
उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने उन्हें कहा कि डायलिसिस पाइप हटाने से चेहरे पर सूजन है। उसके पति को शव पर संदेह था, लेकिन मुर्दाघर कर्मचारियों की ओर से दी गई रिपोर्ट पर सही नाम-पता होने पर उन्होंने भरोसा कर लिया।
गायब
एजाजुद्दीन को पहले नहीं दिया गया था शव
एजाजुद्दीन ने बताया कि 4 जून को जब वह अस्पताल में शव लेने के गया तो वहां शव ही नहीं था। उस दौरान उसने मुर्दाघर में रखे करीब 250 शवों की जांच की थी।
अगले दिन जब उसे शव दिखाया गया तो पता चला कि वह उसके भाई का शव एक दिन पहले ही कलामुद्दीन को दे दिया गया है।
इसको लेकर उसने अस्पताल में हंगामा भी किया था और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया था।
जानकारी
मौत के बाद चेहरा पहचानना होता है मुश्किल
हॉस्पिटल के एक अधिकारी ने बताया मौत के बाद चेहरे में थोड़ा बदलाव आ जाता है। इससे कभी-कभी परिजनों के चिंतित होने के कारण शव की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
कार्रवाई
दिल्ली सरकार ने अस्पतालों के खिलाफ शुरू की कार्रवाई
दिल्ली में निजी अस्पताल मनमानी कर रहे हैं। अस्पतालों में न तो कोरोना संक्रमितों को भर्ती किया जा रहा है और ना ही कोरोना संक्रमण की जांच की जा रही है। कुछ अस्पताल तो उपचार के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। इसके कारण कई कोरोना मरीजों की मौत भी हो चुकी है।
इसको लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को निजी अस्पतालों को फटकार लगाई थी शाम को सर गंगाराम अस्पताल के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।