वडोदरा: पुलिस हिरासत में शख्स की मौत, छह पुलिसकर्मियों ने किया आत्मसमर्पण
गुजरात के वडोदरा के एक थाने में करीब नौ महीने पहले चोरी के मामले में संदिग्ध 65 वर्षीय व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत होने के मामले में आरोपी छह पुलिसकर्मियों ने सोमवार को राज्य के अपराध जांच विभाग (CID) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस द्वारा मामले की निष्पक्ष जांच नहीं किए जाने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले महीने मामले की जांच CID को सौंपने का आदेश दिया था। उसके बाद अब पुलिसकर्मियों ने समर्पण कर दिया।
अपराध स्वीकार कराने के लिए कई गई मारपीट में हुई थी शख्स की मौत
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार फतेहगंज थाना पुलिस ने 10 दिसंबर, 2019 को चोरी के संदेह पर तेलंगाना निवासी बाबू शेख निसार (65) को गिरफ्तार किया था। उस दौरान पुलिस ने अपराध स्वीकार कराने के लिए उसे कड़ी यातनाएं दी थी। जिसमें उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उसके शव को अनजान जगह दफना दिया था। गत 6 जुलाई को मामले की जांच में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और सबूत मिटाने का मामला दर्ज किया गया था।
इन आरोपी पुलिसकर्मियों ने किया आत्मसमर्पण
CID के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आत्मसर्मपण करने वाले पुलिसकर्मियों में तत्कालीन पुलिस निरीक्षक डीबी गोहिल, पुलिस उप-निरीक्षक डीएम रबारी, लोक रक्षक दल के जवान पंकज मावजीभाई, योगेंद्र जिलानसिंह, राजीव सविजीभाई और हितेश शंभुभाई हैं। उन्होंने बताया कि सभी छह आरोपी पुलिसकर्मियों को औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने से पहले कोरोना महामारी अधिनियम के तहत उनकी कोरोना वायरस की जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
आरोपी पुलिसकर्मी ने भी हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
गत 6 जुलाई को मामला दर्ज होने के बाद आरोपी पुलिसकर्मी भी बिना बताए लापता हो गए थे। उसके बाद निरीक्षक गोहिल ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी। उसने याचिका में कहा था कि पुलिस अभी तक भी यह पता नहीं लगा पाई है कि बाबू शेख निसार की वास्तव में मौत हुई है या नहीं, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने समर्पण कर दिया।
हाईकोर्ट ने दिए थे CID को जांच सौंपने के निर्देश
मामले में पुलिस द्वारा हत्या की मामला दर्ज करने और आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर गत 5 अगस्त को मामले की जांच CID के पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी से कराने तथा अन्य अधिकारी को निगरानी के लिए नियुक्त करने के निर्देश थे।
हेड कांस्टेबल ने दिया था पुलिसकर्मियों के खिलाफ बयान
मामला दर्ज होने के बाद थाने के हेड कांस्टेबल शक्तिसिंह ने पूछताछ में चौंकाने वाला बयान दिया था। उसने कहा था कि आरोपी पुलिसकर्मियों ने बाबू को कुर्सी से बांधा था और अपराध स्वीकार करने के लिए प्रताड़ित किया था। उन्हें नहीं लगता कि वह जीवित हो सकता है। पुलिस ने शव को दफनाने में काम ली गई हेड कांस्टेबल महेश राठवा की कार को भी बरामद कर लिया था। पुलिस अब शव दफनाए जाने की जगह का पता लगाएगी।
मृतक के परिजनों ने लगाई थी बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका
पुलिस ने बताया कि मामले में मृतक के परिजनों ने एक जनवरी को सयाजीगंज थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी। इसके बाद गत 6 जुलाई को मामला दर्ज होने के बाद मृतक के बेटे ने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की थी, लेकिन उसके बाद भी उसका कोई पता नहीं चला। अब पुलिसकर्मियों के आत्मसमर्पण करने के बाद साफ हो गया है कि बाबू की मौत हो चुकी है और अब उसके शव को बरामद किया जाएगा।