केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- धार्मिक स्वतंत्रता में धर्म परिवर्तन कराने की आजादी शामिल नहीं
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता में अन्य व्यक्तियों का धर्म परिवर्तन करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है। सरकार ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन एक गंभीर खतरा और राष्ट्रीय मुद्दा है और समाज के कमजोर वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए इस पर रोक लगाने वाले कानून की आवश्यकता है। कोर्ट ने भी कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
केंद्र ने गिनाए धर्म परिवर्तन पर कानून बना चुके राज्यों के नाम
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में उन राज्यों के नाम भी गिनाए जो जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर कानून बना चुके हैं। उसने कहा कि ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और हरियाणा जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने वाले कानून बना चुके हैं। सरकार ने कोर्ट से कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दों को पूरी गंभीरता से लिया जाना चाहिए और वह मामले की गंभीरता से अवगत है।
केंद्र ने दिया सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला
केंद्र ने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट खुद कह चुकी है कि संविधान के अनुच्छेद 25 में दर्ज 'प्रचार' शब्द किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने की परिकल्पना नहीं करता, बल्कि धर्म के सिद्धांतों की व्याख्या करके उसके प्रसार का अधिकार देता है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने केंद्र को राज्यों से चर्चा करके एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
भाजपा नेता की याचिका पर हो रही है सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में धमकी, उपहार, पैसों और काले जादू का इस्तेमाल करके होने वाले जबरन धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की गई है। उपाध्याय ने अपनी याचिका में कोर्ट से विधि आयोग को जबरन धर्म परिवर्तन पर रिपोर्ट और विधेयक तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन को माना था गंभीर मुद्दा
याचिका पर 14 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी जबरन धर्म परिवर्तन को गंभीर मुद्दा बताया था। उसने कहा था, "अगर आदिवासी इलाकों में लोगों के जबरन धर्म परिवर्तन का मामला सही मिलता है तो यह गंभीर मुद्दा होने के साथ बड़ा अपराध है। यह राष्ट्र की सुरक्षा और अंतरात्मा के साथ-साथ लोगों के धर्म की स्वतंत्रता को भी प्रभावित कर सकता है... इसे रोका नहीं गया तो विकट स्थिति आ सकती है।"
न्यूजबाइट्स प्लस
देश के नौ राज्य जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बना चुके हैं। इनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक शामिल हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2021 में गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन को कानूनी अपराध बनाने वाला कानून लागू किया था, वहीं कर्नाटक में इसी साल धर्म परिवर्तन विरोधी कानून लागू किया गया है। इसमें किसी के प्रभाव में आकर, जबरदस्ती, किसी दबाव में आकर, कोई लालच के बाद धर्मांतरण करने पर सजा का प्रावधान किया गया है।