मौत की सजा से रिहाई तक, कतर में पूर्व नौसैनिकों के मामले में कब क्या हुआ?
कतर ने जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को रिहा कर दिया है। इनमें से 7 भारत लौट आए हैं। पूर्व अधिकारियों की रिहाई और उनका जासूसी के आरोपों से मुक्त होना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। आइए इस मामले की टाइमलाइन को समझते हैं और जानते हैं कि कैसे भारत सरकार ने पूर्व अधिकारियों की रिहाई सुनिश्चित की।
कैसे हुई मामले की शुरुआत?
30 अगस्त, 2022 को कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णंदू तिवारी, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश को अज्ञात कारणों से गिरफ्तार किया गया था। यह सभी कतर में अल दाहरा नाम की निजी कंपनी में काम करते थे, जो कतर की नौसेना के लिए एक पनडुब्बी परियोजना पर काम कर रही थी। बाद में रिपोर्ट्स सामने आईं कि इन पर जासूसी के आरोप हैं।
भारत ने अक्टूबर, 2022 में प्रदान की काउंसलर पहुंच
1 अक्टूबर, 2022 को दोहा में भारतीय राजदूत और मिशन के उप प्रमुख ने इन पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की। 3 अक्टूबर, 2022 को पहली बार काउंसलर पहुंच प्रदान की गई। दाहरा ग्लोबल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने भी इन पूर्व अधिकारियों की मदद करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने 2 महीने एकांत कारावास में बिताए और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
2023 में बढ़ने लगीं मुश्किलें
1 मार्च, 2023 को इन 8 भारतीयों में से कई की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गईं। 25 मार्च को इन सभी के खिलाफ आरोप दायर किए गए और 29 मार्च से मुकदमा शुरू हुआ। 30 मई को दाहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी भारतीय घर लौट आए। 4 अगस्त को गिरफ्तार भारतीयों को एकांत कारावास से जेल में डाल दिया गया।
पिछले साल अक्टूबर में सभी 8 भारतीयों की सुनाई गई मौत की सजा
इन 8 भारतीयों को कतर की पनडुब्बी की गोपनीय जानकारी इजरायल से साझा करने के आरोप में 26 अक्टूबर, 2023 को कतर की एक कोर्ट ने मौत की सजा दी। भारत ने इस पर हैरानी जताई और मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने की बात कही। 9 नवंबर, 2023 को हिरासत में लिए गए 8 पूर्व नौसैनिकों की कानूनी टीम ने मौत की सजा के खिलाफ कतर की एक कोर्ट में अपील दायर की।
नवंबर में स्वीकार हुई भारत सरकार की अपील
16 नवंबर, 2023 को भारत ने कहा कि पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा के खिलाफ कतर की एक कोर्ट में दायर अपील पर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत सरकार इस मामले पर कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है। इसके साथ ही सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता देना जारी रखी जाएंगी। 23 नवंबर को कतर की कोर्ट ने भारत की अपील स्वीकार कर ली।
दिसंबर में कोर्ट ने मौत की सजा कम की
7 दिसंबर, 2023 को कतर में भारतीय राजदूत ने सभी पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की। बागची ने कहा कि मामले में 2 सुनवाई पहले ही हो चुकी हैं। 27 दिसंबर को कतर की कोर्ट ने पूर्व नौसैनिकों की सजा कम कर दी। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत कहा गया। यह फैसला दुबई में एक शिखर सम्मेलन से इतर अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के कुछ हफ्तों बाद आया।
12 फरवरी को रिहा हुए सभी पूर्व नौसेना के अधिकारी
4 जनवरी को विदेश मंत्रालय ने कहा कि कतर कोर्ट ने अलग-अलग जेल की सजा के खिलाफ अपील के लिए 60 दिन का समय दिया था। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया कि 8 लोगों की सहायता करने वाली कानूनी टीम को फैसले की एक प्रति मिल गई थी, लेकिन यह एक 'गोपनीय दस्तावेज' था। 12 फरवरी को भारत ने घोषणा की कि सभी नौसैनिकों के रिहा कर दिया गया है और अमीर के आदेश पर रिहाई हुई है।
रिहाई के बाद कैसे स्वदेश लौटे सभी 8 नागरिक?
मंत्रालय ने बताया कि भारत के 8 पूर्व नौसेना कर्मियों में से 7 कतर से भारत लौट आए हैं। NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पूर्व सैनिकों को उनकी रिहाई की जानकारी पहले से नहीं थी। रिहा होने के तुरंत बाद दूतावास के अधिकारी उन्हें अपने साथ ले गए। अधिकारियों ने बताया कि कल इंडिगो की उड़ान में सभी सवार हुए और देर रात 2 बजे भारत लौटे।
पूर्व नौसैनिकों की रिहाई में किसकी भूमिका रही अहम?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कतर के अमीर के साथ प्रधानमंत्री मोदी के दोस्ताना संबंधों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की पर्दे के पीछे की कूटनीति ने सभी पूर्व सैनिकों की रिहाई सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कूटनीतिक मोर्चा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संभाला और सभी की रिहाई के लिए बातचीत प्रधानमंत्री की सलाह पर डोभाल ने की। डोभाल ने दोहा के कई दौरे किए और कतरी नेतृत्व को भारतीय दृष्टिकोण समझाने का पूरा प्रयास किया।