कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा, भारत देगा चुनौती
कतर ने उसकी हिरासत में बंद भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई है। मामले की जानकारी देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वो इससे हैरान है। मंत्रालय ने इस मामले पर गहरा दुख जताया है और अधिकारियों के परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में होने की बात कही है। बता दें कि कतर पुलिस ने पिछले साल भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने मामले पर कहा, "हम मृत्युदंड के फैसले से गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं।" उसने कहा कि वह कानूनी टीम के संपर्क में भी है और सभी कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा, "हम इस मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे और इस फैसले को कतरी अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे।"
इन पूर्व अधिकारियों को हुई है सजा
जिन अधिकारियों को सजा दी गई है, उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णंदू तिवारी, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश शामिल हैं। ये सभी रिटायर्ड हैं। कमांडर तिवारी को 2019 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ये सभी एक निजी फर्म 'डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज' के लिए काम करते थे, जो कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण संबंधित सेवाएं प्रदान करती थी।
पूर्व सैन्य अधिकारियों पर क्या है आरोप?
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, नौसेना के पूर्व अधिकारियों पर कतर में इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है। कतर ने दावा किया था कि इन अधिकारियों ने इटली से उन्नत पनडुब्बियों को खरीदने के उसके एक गुप्त कार्यक्रम की जासूसी की और उसके पास इसके इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी हैं। ओमान के पूर्व वायुसेना अधिकारी और निजी फर्म के CEO खामिस अल-अजमी और कतर के अंतरराष्ट्रीय अभियानों के प्रमुख को भी मामले में गिरफ्तार किया गया था।
मामले में कब क्या हुआ?
कतर के आंतरिक मंत्रालय ने 30 अगस्त, 2022 को इन अधिकारियों को दोहा स्थित उनके घरों से उठाया था। इसी साल मार्च में उनके खिलाफ सुनवाई शुरू हुई। 1 अक्टूबर को भारत ने इन अधिकारियों को कांसुलर पहुंच प्रदान की थी। उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हुईं और बार-बार उनकी हिरासत को बढ़ाया गया। हाल ही में इस मामले की 7वीं सुनवाई 3 अक्टूबर को दोहा में हुई थी।
मामले में भारतीय पत्रकार को पड़ा था कतर से भागना
इन 8 भारतीय अधिकारियों पर एक भारतीय पत्रकार ने कतर में रहते हुए ही एक खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद उसे देश छोड़कर भागना पड़ा था। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये पत्रकार दक्षिण भारत स्थित एक प्रमुख मीडिया प्रकाशन के दोहा संस्करण के लिए काम कर रहा था। उसे पता चला कि कतर का आंतरिक मंत्रालय उसकी निगरानी कर रहा है और उसे कभी भी पूछताछ के लिए उठाया जा सकता है, इसलिए वो भाग आया।