लॉकडाउन की मार: थोक विक्रेताओं तक नहीं पहुंच रही खाद्य वस्तुएं, कीमतें बढ़ी
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए इस समय भारत में लॉकडाउन चल रहा है। लोगों का घरों से निकलना बंद हैं और वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध हैं। ऐसे में खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है और इसका सीधा असर उनकी कीमतों पर पड़ने लगा है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार गत माह की तुलना में खाद्य वस्तुओं की कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई। इससे लोगों को खासी परेशानी हो रही है।
थोक विक्रेताओं तक नहीं पहुंच रहा है माल
रिपोर्ट में उपभोक्ता मामलों और कई कृषि उपज बाजार समितियां (APMC) से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष दिया गया है कि लॉकडाउन के कारण खाद्य वस्तुएं थोक विक्रेताओं तक पहुंच ही नहीं रही है। मार्च महीने के पहले सप्ताह की तुलना में इस बाद थोक विक्रेताओं तक माल की अपूर्ति 60 प्रतिशत तक कम हो गई है। इसके अलावा परिवहन की सुविधा में कमी आने के कारण इसके किराए में भी बढ़ोत्तरी हो गई है।
लॉकडाउन के कारण आई मजदूरों की कमी
सरकार ने लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाहनों को छूट दी है, लेकिन इसके बाद ट्रक ड्राइवर राज्यों की सीमाएं पार नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा श्रमिकों और मजदूरों के घर चले जाने से लोडिंग व अनलोडिंग कार्य के लिए भी मजदूरों की कमी आ गई है। गत बुधवार को जिनेवा स्थित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के एक अध्ययन ने कहा गया था कि लॉकडाउन के कारण भारत के 40 करोड़ लोग गरीबी में डूब जाएंगे।
उत्पादित फसलों की उपभोक्ताओं तक पहुंच नहीं
रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी राज्य सरकारों ने गेहूं और चावल के बेहतर उत्पादन पर नजर रखी है। उनकी कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है। इसी तरह सर्दियों की फसलों में भी ज्यादा अंतर नहीं है, लेकिन अधिकारियों ने आपूर्ति और वितरण को उचित मूल्य पर खरीदने में असफल रहे हैं। इसके बाद कृषि गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए केंद्र ने 25 मार्च, 26 मार्च, 2 अप्रैल और 8 अप्रैल को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
देश की बड़ी टमाटर मंडी में हुई महज 60 टन की आवक
लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर नियमित रूप से घरों में काम आने वाली सब्जियों पर पड़ा है। इसमें भी विशेष तौर पर टमाटर, प्याज और आलू है। आंध्र प्रदेश के मुलाकालाचेरुवु APMC बाजार जो कि एक बड़ी टमाटर मंडी है। गत एक से 6 अप्रैल के बीच यहां सिर्फ 60 टन टमाटर की आवक हुई थीं। नीलामी के दौरान कई बार इसकी कीमत 500 रुपये टन के रूप में सामने आई है।
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी में हुई 83% कम आपूर्ति
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक के लासलगांव में अप्रैल के पहले सप्ताह में 11,878 क्विंटल प्याज की आवक हुई थी। जिसका मॉडल मूल्य 775 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। यहां मार्च में 73,955 क्विंटल प्याज आया था।
राज्यों ने नहीं की खाद्य वस्तुओं की कीमत निर्धारित
बता दें कि गत बुधवार को केंद्र सरकार ने खाद्य वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों को देखते हुए सभी राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत खाद्य वस्तुओं की कीमत निर्धारित करने के लिए कहा था। हालांकि, किसी भी राज्य ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया है। इसका खामियाजा अब आम जनता को उठाना पड़ रहा है। आगामी 13 अप्रैल को भारत का आधिकारिक खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति डेटा जारी किया जाएगा।
खरीदारों के बिना अपनी फसल को मंडी में पड़ा रखने को मजबूर है किसान
अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतारन सिंह ने कहा कि ट्रकों को दूसरे राज्यों में जाने की अनुमति नहीं है। वह माल लेकर जा सकते हैं, लेकिन खाली नहीं लौट सकते हैं। इससे परिवहन लागत में 15% की वृद्धि हुई है। किसान खरीदारों के अभाव में अपनी फसल को मंडी में ही पड़ा रखने को मजबूर हैं। यही कारण है कि अनाज की कमी के कारण गरीबों को दो समय का खाना भी नहीं मिल रहा है।