बिहार: जिस महिला की हत्या के जुर्म में परिवार पहुंचा जेल, वह निकली जिंदा
भारतीय न्याय व्यवस्था में सबूतों का कद बहुत बड़ा होता है। इसके आधार पर सच को झूठ और झूठ को सच बनाया जा सकता है। जिसके चलते कई बार बेगुनाहों को बड़ी सजा भुगतनी पड़ती है। ऐसा ही मामला सामने आया है बिहार के सुपौल जिले में, जहां पुलिस ने जिंदा महिला की हत्या के जुर्म में उसके पति और सास-ससुर को जेल की हवा खिला दी। मामले की सच्चाई सामने आने पर अब पुलिस की किरकिरी हो रही है।
लापता हुई महिला को पुलिस ने मान लिया मृत
पुलिस जांच के अनुसार सुपौल जिले में राघोपुर थाना क्षेत्र के बेरदह गांव निवासी रंजीत यादव की पत्नी सोनिया 24 मई, 2018 को अपने पीहर जाने के लिए निकली थी, लेकिन बीच में ही गायब हो गई। दो दिनों के बाद एक अज्ञात शव मिला और सोनिया के पिता ने शिनाख्त कर ली। पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने रंजीत, उसके पिता विशुन देव और सास गीता सहित आठ लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया।
पुलिस ने हत्या का खुलासा करने के नाम पर बजाए अपने गाल
सोनिया के पिता जनार्दन पासवान की ओर से शिनाख्त करने के बाद पुलिस ने महज 48 घंटे में हत्या की गुत्थी सुलझाने का दावा कर जमकर अपने गाल बजाए थे। पुलिस ने रंजीत और उसके परिवार के आठ लोगों के खिलाफ हत्या व दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कर कोर्ट में चार्जशीट भी पेश कर दी। पांच लोगों के फरार होने पर कुर्की जब्त करने का आदेश जारी कर लिया। इसी के साथ रंजीत की पूरी दुनिया उजड़ सी गई।
छह महिने बाद पुलिस के सामने आ खड़ी हुई सोनिया
पुलिस की ओर से चार्जशीट दाखिल करने और रंजीत व उसके माता-पिता को जेल में गए अभी लगभग छह महीने ही बीते थे कि सोनिया पुलिस के सामने आ खड़ी हुई। उसको देखकर पुलिस एक बार तो चौंक गई, लेकिन अपनी गलती को छिपाने के लिए उसने सोनिया को रंजीत की पत्नी मानने से इंकार कर दिया। इस पर उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराए और इसी के आधार पर रंजीत और उसके परिजनों को जमानत मिल गई।
सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से बरी हुआ रंजीत और उसका परिवार
जमानत मिलने के बाद सोनिया ने कई जगह अपने पति और उसकी ससुराल वालों की बेगुनाही साबित करने के लिए चक्कर लगाए, लेकिन किसी ने उसकी बातों पर भरोसा नहीं किया। अंत में वह एक सामजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार के पास पहुंची और अपनी कहानी बयां की। इसके बाद अनिल उसे अदालत ले गए और मामले की नए सिरे से जांच कराई। इसमें सोनिया को जिंदा मानते हुए अदालत ने हाल ही में रंजीत और माता-पिता को बरी कर दिया।
महिलाओं की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह के चंगुल में फंसी थी सोनिया
सोनिया ने बताया कि वह अपने पीहर जाने के लिए ससुराल से निकली तो वह रास्त भटक गई। उस दौरान किरण नाम की एक महिला उसे घर छोड़ने का झांसा देकर कार से गाजियाबाद ले गई। वहां पहले ही 15-16 लड़कियां थी। पता चला कि वह महिलाओं की खरीद फरोख्त करने वाला गिरोह है। उसी दौरान उसने बच्चे को जन्म दिया। वह करीब पांच महीने बाद वह मौका पाकर वहां से भागकर दिल्ली गई और फिर वापस गांव आ गई।
अदालत ने दिया पीड़िता परिवार को छह लाख का मुआवजा देने का आदेश
हत्या के मामले में पुलिस की जांच का झूठा पाए जाने पर सुपौल सिविल कोर्ट में अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश तृतीय रवि रंजन मिश्र ने पीड़िता के परिवार को पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत कम से जांच अधिकारी के वेतन से काटकर करीब छह लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। रंजीत का कहना है कि इस राशि से उनके परिवार पर लगा बदनामी का धब्बा नहीं मिट सकता है। अदालती कार्रवाई में उसका सब कुछ बिक गया।
पुलिस कर रही अपनी कार्रवाई का बचाव
मामले में अदालत की ओर से रंजीत और उसके परिवार को बरी किए जाने के बाद भी पुलिस अपनी कार्रवाई का बचाव कर रही है। पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने कहा कि जब पिता ही अपनी पुत्री की शिनाख्त कर रहा है तो पुलिस उसे कैसे नकार सकती है। पुलिस ने उसी के आधार पर अपनी कार्रवाई की है। मामले के जांच अधिकारी से जवाब मांगा गया है। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मामले ने उठाए पुलिस कार्रवाई पर बड़े सवाल
इस मामले ने बिहार पुलिस पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने महज पिता के कहने पर ही सोनिया को कैसे मृत मान लिया, जबकि उसका पति इंकार कर रहा था। इसके बाद भी पुलिस ने झूठे सबूतों के आधार पर चार्जशीट पेश कर दी। यदि सोनिया जिंदा है तो वह शव किस महिला का था, पुलिस को अब इसकी जांच करनी होगी। इसके अलावा देखने वाली बात होगी कि जांच अधिकारी पर भी कार्रवाई होगी या नहीं।