महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर अहिंसा का संदेश देने के लिए उपवास रख रहे आंदोलनकारी किसान
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान आज महात्मा गांधी की 73वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए 'सद्भावना दिवस' मना रहे हैं और आज पूरे दिन उपवास रखेंगे। ये उपवास सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक रखा जाएगा और किसान संगठनों ने देशभर के लोगों से इस उपवास में शामिल होने की अपील की है। ये उपवास ऐसे समय पर रखा जा रहा है जब ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद आंदोलन संकट में है।
किसान संगठन बोले- सत्य और अहिंसा को फैलाने के लिए रखा जाएगा उपवास
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उपवास का ऐलान करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा, "30 जनवरी का कार्यक्रम सत्य और अहिंसा की सिद्धातों को फैलाने के लिए किया जाएगा। जिस तरीके से सरकार प्रायोजित झूठ और हिंसा फैला रहा है, वह निंदनीय है।" मोर्चा ने कहा, "सरकार ने जिस तरह गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर वातावरण को खराब करने की कोशिश की, ये दर्शाता है कि भाजपा-RSS आंदोलन को खत्म करना चाहते हैं।"
तनावपूर्ण है किसान आंदोलन के आसपास का माहौल
किसानों की ओर से शांति का ये संदेश ऐसे समय पर दिया गया है जब 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद से किसान आंदोलन के आसपास का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। हिंसा के बाद बने मौके को भुनाते हुए सरकार किसानों को धरने से उठाने की कोशिश में लगी हुई है, लेकिन किसान आंदोलन को खत्म करने को तैयार नहीं है। तथाकथित स्थानीय लोगों के हमले ने मामले को और बिगाड़ दिया है।
कई जगहों पर हो चुका है किसानों के धरने पर हमला
शुक्रवार को खुद को स्थानीय बताने वाले लोगों के समूहों ने सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के धरने पर हमला किया था और उनके तंबू उखाड़ फेंके थे। इससे पहले गुरूवार को गाजीपुर बॉर्डर पर भी पुलिस और अन्य लोगों द्वारा किसानों को धरने से उठाने की तैयारी की गई थी। हालांकि भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत के कैमरे के सामने रोने के फुटेज ने पूरा माहौल बदल दिया।
टिकैत की अपील के बाद हजारों लोग गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे
टिकैत के इन आंसुओं का पश्चिम उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों पर बहुत असर हुआ और इसके बाद से हजारों लोग गाजीपुर बॉर्डर पहुंच चुके हैं। उनके समर्थन में मुजफ्फरनगर में महापंचायत भी हुई जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
11 दौर की बातचीत से भी नहीं निकला कोई समाधान
मुद्दे पर बने गतिरोध को तोड़ने के लिए किसानों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें कोई समाधान नहीं निकला है। अंतिम दौर की बैठक में सरकार ने साफ कर दिया था कि वह कानूनों को दो साल के लिए निलंबित करने के लिए तैयार है और अगर किसान इस पर तैयार है, तभी आगे बातचीत होगी। हालांकि किसान कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।