गीता प्रेस को लेकर आमने-सामने हुई भाजपा और कांग्रेस, क्या है मामला और किसने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। इसमें अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने इशारों-इशारों में कांग्रेस पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "गीता प्रकाशन समूह किसी मंदिर से कम नहीं है। कभी-कभी संत रास्ता दिखाते हैं, कभी-कभी गीता प्रेस जैसी संस्थाएं।" इससे पहले कांग्रेस ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से नवाजे जाने के फैसले पर सवाल खड़े किये थे।
क्या है मामला?
भाजपा की सत्तारूढ़ केंद्र सरकार ने 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गोरखपुर की गीता प्रेस को चुना है। संस्कृति मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए कहा था, "गांधी शांति पुरस्कार, 2021 मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने में गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन का प्रतीक है।" कांग्रेस ने पुरस्कार का चयन करने वाली प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति के निर्णय पर सवाल खड़े किये थे।
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि गीता प्रेस अपने काम के माध्यम से मानवता का मार्गदर्शन कर रही है। उन्होंने दावा किया कि महात्मा गांधी का गीता प्रेस के साथ भावनात्मक रिश्ता था और इसकी मासिक पत्रिका 'कल्याण' में वह नियमित रूप से लिखा करते थे। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस आज भी कल्याण पत्रिका में महात्मा गांधी की विज्ञापन न प्रकाशित करने की सलाह का पालन कर रही है।
प्रधानमंत्री ने की गीता प्रेस के योगदान की सराहना
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "प्रेस के नाम में ही गीता है, जहां गीता होती है वहां भगवान कृष्ण स्वयं मौजूद होते हैं। गीता प्रेस कई सालों से देश को एकजुट करने और देशवासियों में राष्ट्रीय चेतना को विकसित करने में मदद कर रही है। यह 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' को दर्शाता है।" प्रधानमंत्री ने गंगा नदी को स्वच्छ रखने के लिए जागरूकता फैलाने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने में गीता प्रेस के काम की विशेष रूप से प्रशंसा की।
गीता प्रेस को लेकर कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता जयराम ने कहा था कि गीता प्रेस को पुरस्कार देने का निर्णय सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है। उन्होंने कहा था, "2021 का गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर की गीता प्रेस को प्रदान किया गया है। इस संगठन की 2015 में अक्षय मुकुल द्वारा लिखित एक बहुत ही बेहतरीन बायोग्राफी है, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे के खिलाफ इसकी मुहिम का खुलासा किया है।"
गीता प्रेस ने पुरस्कार की नकद राशि लेने से किया था इनकार
गीता प्रेस ने गांधी शांति पुरस्कार का 1 करोड़ रुपये नकद पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था। उसने कहा था कि वह केवल प्रशस्ति पत्र स्वीकार करेगी और सरकार को यह राशि कहीं दूसरी जगह खर्च करनी चाहिए।
क्या है गांधी शांति पुरस्कार?
गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरुआत भारत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी के आदर्शों को सम्मान देने के लिए की थी। संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, यह पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है, चाहे उसकी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो। मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में 1 करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु शामिल है।
क्या है गीता प्रेस?
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में साल 1923 में गीता प्रेस की शुरुआत हुई थी। गीता प्रेस को दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक माना जाता है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इन पुस्तकों में श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां भी शामिल हैं। इस संस्था ने कभी भी अपना राजस्व बढ़ाने के लिए अपने प्रकाशनों में विज्ञापन पर भरोसा नहीं किया। गीता प्रेस ने इसी साल अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाया है।