नाबालिग ने NASA की तरफ से स्कूल को भेजा फर्जी ईमेल, जानिए फिर क्या हुआ
लगभग डेढ़ महीने खबर आई थी कि ओडिशा के 14 वर्षीय छात्र सुभ्रांशु नायक के प्रोजेक्ट को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के कॉन्टेस्ट के लिए चुना गया है। अब इस खबर का सच सामने आया है। दरअसल, छात्र का प्रोजेक्ट NASA में चयनित नहीं हुआ था बल्कि एक नाबालिग युवक ने जालसाजी कर NASA के डायरेक्टर की तरफ से सुभ्रांशु को ईमेल भेजा था। पुलिस ने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में नाबालिग के खिलाफ केस दर्ज किया है।
NASA के लैटरहेड की नकल कर भेजा था फर्जी ईमेल
अंगुल पुलिस ने बताया कि नाबालिग के खिलाफ NASA के लैटरहेड की नकल करने और जालसाजी करने का मामला दर्ज हुआ है। अंगुल के SP ने बताया, "हमने उस नाबालिग का पता लगा लिया है जिसने अंगुल के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर की नौंवी क्लास के छात्र सुभ्रांशु को नकली ईमेल भेजकर बताया था कि उसके प्रोजेक्ट को NASA के लिए चयनित किया गया है। उसके खिलाफ IT एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।"
क्या था पूरा मामला?
सुभ्रांशु के स्कूल को सितंबर में एक ईमेल मिला था। इसमें कहा गया था कि उसके प्रोजेक्ट को 2020 एमेस स्पेस सैटलमेंट कॉन्टेस्ट के लिए चुना गया है। दरअसल, सुभ्रांशु ने एक ड्रोन बनाया था जो मोबाइल ऐप्लिकेशन की मदद से सुदूर इलाकों में पहुंचकर मदद पहुंचा सकता है। इसे मेविक नाम दिया गया है। सुभ्रांशु ने बताया कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट की डिटेल एमेस स्पेस सैटलमेंट की वेबसाइट पर अपलोड की थी।
सुभ्रांशु को अमेरिका जाने के लिए मिल चुकी थी आर्थिक मदद
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सुभ्रांशु के पिता अपनी जीविका कमाने के लिए कागज के थैले बनाते हैं। जैसे ही यह खबर सामने आई कि सुभ्रांशु का प्रोजेक्ट NASA के लिए चुना गया है, स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल के विधायक ने सुभ्रांशु के परिवार को अमेरिका जाने के लिए 50,000 रुपये की मदद भी दे दी। उनके अलावा दूसरे नेताओं ने भी आर्थिक मदद देने का ऐलान किया था।
ईमेल में क्या लिखा गया था?
सुभ्रांशु के स्कूल को मिले ईमेल में NASA के वैज्ञानिक जेम्स एल ग्रीन के हस्ताक्षर थे। इसमें लिखा गया था, "हम हमेशा ऐसे तेज वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की तलाश में रहते हैं जो हमारी मदद कर सके। इसलिए आपका छात्र मेहनत करेगा और कॉन्टेस्ट में अच्छा करेगा। हम आपके छात्र से NASA की प्रतियोगिता में मिलने के लियु उत्साहित हैं।" इसके बाद स्कूल को एक और ईमेल मिला, जिसमें कई व्याकरणिक गलतियां थीं।
ईमेल में दिए मोबाइल नंबर फर्जी निकले
दूसरे ईमेल में लिखा गया था कि यह कॉन्टेस्ट 28 नवंबर, 2019 से लेकर 10 जनवरी, 2020 तक चलेगा। इसमें दुनियाभर के 138 छात्र भाग लेंगे। जांच में पता चला कि ईमेल में दिए गए दोनों नंबर फर्जी है।
वीजा नहीं मिलने पर यकीन में बदला शक
सुभ्रांशु के स्कूल ने पहले इस ईमेल पर भरोसा कर लिया। हालांकि, इसमें लिखी गलत स्पेलिंग के कारण उन्हें शक हुआ था। स्कूल के एक अध्यापक ने कहा कि 27 नवंबर को सुभ्रांशु को अमेरिका के लिए रवाना होना था, लेकिन उसे वीजा नहीं मिला। इसके बाद स्कूल का शक यकीन में बदल गया और 30 नवंबर को मामले की शिकायत पुलिस को दी गई। अब उस नाबालिग का पता लगा लिया गया है जिसने ये फर्जी ईमेल भेजा था।