आज से केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, राज्य का दर्जा हुआ समाप्त
क्या है खबर?
गुरुवार को जब देश सोकर उठा तो उसे एक राज्य कम और दो केंद्र शासित प्रदेश ज्यादा मिले।
जी हां, 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा समाप्त हो हो गया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर अस्तित्व में आ गए।
राष्ट्रपति ने 9 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की मंजूरी दी थी।
इसी के साथ देश में केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है।
शपथ समारोह
31 अक्टूबर को शपथ लेंगे दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल
31 अक्टूबर को गुजरात के पूर्व नौकरशाह जीसी मुर्मु जम्मू-कश्मीर के पहले उप राज्यपाल के तौर पर शपथ लेंगे।
उनके अलावा राधा कृष्ण माथुर लद्धाख के उप राज्यपाल पद की शपथ लेंगे।
केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर को इन दोनों पूर्व नौकरशाहों को उप राज्यपाल बनाने के फैसले का ऐलान किया था।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल पहले श्रीनगर में मुर्मु को शपथ दिलाएंगी और उसके बाद लेह में माथुर के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगी।
जानकारी
उर्दू की जगह अब आधिकारिक भाषा होगी हिंदी
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद बड़ा बदलाव यह होगा कि यहां की आधिकारिक भाषा उर्दू की जगह हिंदी हो गई है। जम्मू-कश्मीर देश का एकमात्र राज्य था, जहां की आधिकारिक भाषा उर्दू थी। जो अब हिंदी हो गई है।
विधानसभा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में होंगी 114 सीटें
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी यह उप राज्यपाल के जरिए सीधे केंद्र सरकार के अधीन रहेगा।
वहीं जम्मू-कश्मीर में 114 सीटों वाली विधानसभा होगी और इसका प्रशासनिक ढांचा एक हद तक दिल्ली की तरह होगा।
खास बात यह है कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर हो रहा है।
देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
जानकारी
केंद्र के 106 कानून होंगे लागू
31 अक्टूबर के बाद जम्मू-कश्मीर में राज्य के 166 कानूनों के साथ-साथ केंद्र के 106 कानून भी लागू होंगे। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून में कहा गया है कि राज्य के 153 कानून रद्द हो जाएंगे। हालांकि, अभी तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
फैसला
5 अगस्त को लिया गया था महत्वपूर्ण फैसला
केंद्र सरकार ने इस साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला लिया था।
इस निर्णय से पहले जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के सैंकड़ों नेताओं को हिरासत में डाला गया और राज्य में कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए थे।
इनमें संचार के साधनों पर रोक लगाना भी शामिल था। घाटी में अब भी इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद हैं।