अयोध्या: मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट को लेकर आमने-सामने आए अखाड़े
अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार को यह ट्रस्ट बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। अब इस ट्रस्ट को लेकर अयोध्या में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। अभी इसके गठन की तैयारियां भी शुरू नहीं हुई हैं, लेकिन उससे पहले ही इसे लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
महंत नृत्यगोपाल दास ने नए गठन की जरूरत पर उठाए सवाल
इंडियन एक्सप्रेेस के मुताबिक, राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट के गठन की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास का गठन मंदिर निर्माण के लिए किया गया था और अगर जरूरत पड़ती है तो निर्मोही अखाड़ा आदि भी इस काम में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, निर्मोही अखाड़ा इस बात पर राजी नहीं है। वह राम जन्मभूमि न्यास का हिस्सा बनने को तैयार नहीं है।
साथ आने को तैयार नहीं निर्मोही अखाड़ा
निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास ने कहा, "हम उनके (राम जन्मभूमि न्यास) के खिलाफ लड़ रहे थे। कोई ये उम्मीद कैसे कर सकता है कि हम उनके न्यास के सदस्य बन जाएंगे। वो अपने ट्रस्ट को छोड़कर हमारे साथ ट्रस्ट के सदस्य बन सकते हैं। हम निर्मोही हैं और हम उनके साथ नहीं जा सकते है। यह सरकार का काम है कि वह इसका समाधान ढूंढे और सबको एक साथ लेकर आएं।"
ट्रस्ट का हिस्सा होगा निर्मोही अखाड़ा
अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने निर्मोही अखाड़े की संपत्ति की देखरेख की याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, पांच जजों की बेंच ने एकमत से फैसला देते हुए विवादित भूमि में निर्मोही अखाड़े की ऐतिहासिक उपस्थिति और भूमिका को देखते हुए सरकार को आदेश दिया कि जब वह मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे तो उसे एक उचित भूमिका दी जानी चाहिए।
नए ट्रस्ट के पक्ष में है दिगंबर अखाड़ा
राम जन्मभूमि न्यास के पूर्व प्रमुख परमहंस रामचंद्र दास के दिगंबर अखाड़े ने कहा कि उनके मौजूदा प्रमुख महंत सुरेश दास योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। दिगंबर अखाड़े का कहना है कि किसी भी मौजूदा ट्रस्ट को राम मंदिर निर्माण का काम नहीं सौंपा जाना चाहिए। यानी दिगंबर अखाड़ा भी राम जन्मभूमि न्यास की इस बात के विरोध में है कि उसे मंदिर निर्माण का काम सौंपा जाना चाहिए।
अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था
शनिवार को आए ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि का मालिकाना हक रामलला विराजमान को सौंपते हुए सरकार को ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार को इस ट्रस्ट के गठन के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में मस्जिद के लिए अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया है। इस फैसले के बारे में आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।